HRMS Software | Human Resource management System - Zyple
सफ़र है सुहाना
J&K हमारे देश का अभिन्न अंग और सिरमौर राज्य "जम्मू और कश्मीर" भारत के उत्तरी दिशा में हिमालय पर्वत की गोद में स्थित है । पर्वतीय राज्य होने के कारण, प्रकृति ने इस राज्य स्वयं फॉरेक्स में टेम्प्लेट ट्रेडिंग का उदय अपने हाथो से सजाया सवांरा है । गहरी घाटियाँ, साफ पानी की झीले, ऊंचाई से गिरते झरने, वर्फ से ढके पर्वत, ऊँचे-ऊँचे पहाड़ो की श्रंखला, जीवन दायनी बलखाती नदियाँ और यहाँ का मौसम इसे "धरती का स्वर्ग" की उपाधि देने के लिए काफी है । जम्मू और कश्मीर राज्य मुखतः तीन भागो से मिल कर बना है, पहला जम्मू , दूसरा कश्मीर और तीसरा लद्दाख । इस राज्य के पश्चिम दिशा में पाकिस्तान, उत्तर में अफगानिस्तान, उत्तर और पूर्व में तिब्बत, चीन और दक्षिण में भारतीय राज्य पंजाब और हिमाचल प्रदेश है । जम्मू कश्मीर की राजधानी "श्रीनगर" पर सर्दियों में अत्यधिक ठण्ड और वर्फ पड़ने के कारण सर्दियों में राज्य के सभी प्रशासनिक कार्य "जम्मू" से ही निस्तारित किये जाते है, एक तरह से जम्मू सर्दियों में इस राज्य की बन जाती है ।
जम्मू-कश्मीर एक मुस्लिम बाहुल राज्य है, हिन्दुओ की संख्या बहुत कम है । भारत के आजादी के बाद कश्मीर राज्य हमेशा से विवादित प्रदेश रहा है । भारत की आजादी के समय यहाँ के शासक राजा हरी सिंह थे और वे इस राज्य को स्वतंत्र रखना चाहते थे । आजादी के बाद भारत के धर्म निरपेक्ष देश होने के कारण बहुत से नेता इसे भारत में शामिल रखना चाहते पर पाकिस्तान को ये मंजूर न था और सन 1947-48 में कश्मीर पर आक्रमण कर यहाँ का काफी हिस्सा हथिया लिया तो महाराज हरी सिंह ने कुछ शर्तो पर इस राज्य को भारत में विलय कर दिया । उस समय भारतीय सेना ने भी आक्रमण कर इस राज्य का काफी हिस्सा बचा लिया और हथियाये कश्मीर पर यही विवाद आज तक सयुक्त राष्ट्र में चल रहा है ।
बेताब घाटी (Betab Valley) |
पर्यटन द्रष्टि ये राज्य बहुत महत्वपूर्ण है, देश की आस्था का प्रतीक त्रिकुट पर्वत पर विराजमान माता वैष्णो देवी और कश्मीर में हिमालय पहाड़ो के बीच बाबा अमरनाथ जी की गुफा स्थित है । हर साल देश के हजारो-लाखो लोग इन जगह के दर्शन करने खिचे चले आते है । फॉरेक्स में टेम्प्लेट ट्रेडिंग का उदय भारत के मीठे पानी के सबसे बड़ी वुलर झील (62km from Srinagar), नीली रंग की पेंगोग झील (लद्धाख) और खूबसूरत डल झील (श्रीनगर ) इसी राज्य में स्थित है । मंदिरों का शहर "जम्मू", बागो का शहर "श्रीनगर", ऊँचा पठारी शहर "लेह"अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए प्रसिद्द है ।
जम्मू और कश्मीर राज्य में कुल 22 जिले आते है, जिनके नाम निम्नवत है ।
जम्मू संभाग
जम्मू (Jammu), उधमपुर (Udhampur), कठुआ (Kathua), साम्बा (Samba), रियासी (Reasi), राजौरी (Rajori), पूंछ (Poonch) , डोडा (Doda) , रामबन (Ramban) , किश्तबार (Kishwar)
कश्मीर संभाग
श्रीनगर (Srinagar), अनंतनाग (Anantnag), कुलगाम (Kulgam), पुलवामा (Pulwama), सोपियाँ (Sopian), बडगाम (Budgam), गंदेरबल (Ganderbal), बांदीपोरा (Bandipora), बारामुला (Baramula), कुपबाड़ा (Kupwara)
लद्धाख संभाग
कारगिल (Kargil), लेह (Leh)
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फॉरेक्स में टेम्प्लेट ट्रेडिंग का उदय
HRMS Software | Human Resource management System - Zyple
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सतमहला का अद्भुत रहस्य, रहस्यों से भरे यहां के मंदिर
अंबिकापुर/उदयपुर:- भारत( India)मे अगर 8वीं, 9वीं सदी (फॉरेक्स में टेम्प्लेट ट्रेडिंग का उदय 8th, 9th century)से लेकर 18वीं सदी तक कि बात हो और उसमें छत्तीसगढ़( Chhattisgarh)का सरगुजा(Sarguja) शामिल न हो ऐसा नहीं हो सकता है। दरअसल छत्तीसगढ़ के सरगुजा के लखनपुर, उदयपुर ब्लॉक पूर्वकालीन मंदिर, चित्रकला (Lakhanpur, Udaipur Block Ancient Temple, Painting)और मौर्यकालीन रहस्य (Mauryan Mysteries)से भरपूर है जिसमें उदयपुर (Udaipur)ब्लॉक के महेशपुर, देवगढ़, सीता बेंगरा, रामगढ़, सतमहला देवी मंदिर, शिव मंदिर (Maheshpur, Deogarh, Sita Bengra, Ramgarh, Satmahla Devi Temple, Shiva Temple)सहित कई वास्तुकला, चित्रकला (architecture, painting)की भरमार है। जहां इनमें एक मुख्य स्थान सतमहला है। सतमहला छत्तीसगढ़ राज्य में एक ऐतिहासिक स्थान है। यह अम्बिकापुर (ambikapur)के दक्षिण में लखनपुर (Lakhanpur)से लगभग 10 कि.मी. कि दूरी पर कलचा ग्राम में स्थित है
छत्तीसगढ़ के इस ऐतिहासिक स्थान पर सात जगह भगवानशेष हैं।
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार यहाँ पर प्राचीन काल में सात विशाल शिव मंदिर थे। फॉरेक्स में टेम्प्लेट ट्रेडिंग का उदय जबकि जनजातियों के अनुसार इस स्थान पर प्राचीन काल में किसी राजा का ‘सप्त प्रांगण महल’ था। यहां कई दर्शनीय स्थल हैं। जिनमें ‘शिव मंदिर’, ‘षटभुजाकार कुंआ’ और ‘सूर्य प्रतिमा’ प्रमुख हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में यहां को लेकर कई तरह की मान्यताओं का भरमार है
दरअसल ग्रामीणों द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार सतमहला का इतिहास वहां की सात देवियों से वास्ता रखता है। वहां बने तालाब से देवी खुद पानी लेकर उस मंदिर फॉरेक्स में टेम्प्लेट ट्रेडिंग का उदय में चढ़ाती थी। ऐसा मान्यता है कि यहाँ जमीन के अंदर महल भी है लेकिन जैसे लोग वैसी बातें होती है। लेकिन यहां की वास्तुकला और कहानी से अब भी लोग हैरान हैं। इस गांव में मंदिर के इर्द गिर्द 7 तालाब निर्माण किए गए थे। और इसके आसपास कुल 140 तालाब है हालांकि कई तालाब तो अब खेत बन गए लेकिन यहां अद्भुत रहस्यों का जमावड़ा है।
8वी, 9वीं सदी के अनुसार यहां महल था। यहां हैहवंशी राजा कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन जब ने शिकार खेलने के दौरान यहां रुके थे। तब उन्होंने यहां विशालकाय शिव मंदिर का निर्माण कराया था। सतमहला परिसर में उत्खनन से आवासीय भवन भी प्रकाश में आया था। यहां लगभग 8-9वीं सदी में यहां गंगा जमुना की मूर्तियां एवं जलधारी पर शिवलिंग स्थापित है।
सतमहला में जगह-जगह पुरातात्त्विक महत्त्व की चींजे बिखरी हुई हैं। जिनके रखरखाव की दिशा में शासन प्रशासन द्वारा कोई पहल नहीं की गई है। जिस कारण ऐतिहासिक महत्व की इन धरोहरों के नष्ट होने व चोरी चले जानें की आशंका बनी हुई है।
पुरातत्त्व विभाग ने सतमहला क्षेत्र को संरक्षित घोषित तो कर दिया है। लेकिन इसके संरक्षण की दिशा में क्या किया गया है। यह दिखाई नहीं देता। सूरजपुर से 30 कि.मी. दूर ‘देवगढ़’ व ‘कलचा’ में प्राचीन महल व मंदिर के अवशेष बिखरे हुए हैं। जिनके रखरखाव की ज़रूरत है। सतमहला में जहां सात महल के अवशेष हैं तो वहीं एक ही स्थान पर 10 तालाब भी हैं। जो तत्कालीन समय में जल के संरक्षण की दिशा में चिंता को इंगित करता है। हाँलाकि विभाग ने यहां बाउंड्री कर दिशानिर्देश के बोर्ड लगाए हैं। और इन पुरातात्विक धरोहरों को छेड़ने वालों पर कार्यवाही के निर्देशिका भी लगाए हैं।
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