व्हाट्सऐप बैंकिंग
बैंक ऑफ़ बड़ौदा सदैव ग्राहक केंद्रित पहलों की शुरुआत करने में अग्रणी रहा है जिसका प्रयोजन सुरक्षा एवं संरक्षा के साथ बैंकिंग सेवाओं की सहज उपलब्धता प्रदान करना है. हम सहर्ष “नए डिजिटल डिलीवरी चैनल – व्हाट्सऐप बैंकिंग” के शुभारंभ की घोषणा करते हैं.
व्हाट्सऐप बैंकिंग : विशेषताएं
व्हाट्सऐप बैंकिंग हिन्दी व अंग्रेजी में उपलब्ध है.
व्हाट्सऐप बैंकिंग सेवा घरेलू भारतीय मोबाइल नंबर तथा चयनित देशों के अंतर्राष्ट्रीय नंबर पर उपलब्ध है.
डिजिटल चैनल आधारित सेवाएं :
- पॉजिटिव पे पुष्टि अनुरोध
- ऋण और मीयादी जमा खाता संबंधी जानकारी
- ऋण खाता संबंधी लघु विवरणी प्राप्त करें
- पंजीकृत ईमेल पते पर ओटीपी
- खाते में शेषराशि की जांच करें.
- विगत पांच लेनदेनों का संक्षिप्त विवरण प्राप्त करना
- चेक स्थिति संबंधी पूछताछ
- डेबिट कार्ड ब्लॉक करना
- नियम व शर्तों को स्वीकार करते हुए (ओटीपी सहित) व्हाट्सऐप बैंकिंग पंजीकरण (द्विभाषी)
- चेक बुक अनुरोध .
- अपना पंजीकृत मेल आईडी जानें
- खाता विवरणी
- यूपीआई को डिसेबल करना
- खाते को ब्लॉक करना (डेबिट फ्रिज)
- घरेलू लेनदेन के लिए डेबिट कार्ड को डिसेबल करना (पीओएस/ई-कॉम/एटीएम)
- अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन के लिए डेबिट कार्ड को डिसेबल करना (पीओएस/ई-कॉम/एटीएम)
- चेक बुक अनुरोध की ट्रैकिंग
- व्हाट्सऐप बैंकिंग पंजीकरण / विपंजीकरण (पंजीकरण रद्द करने) की
- महत्वपूर्ण सेवाओं के लिए ओटीपी मान्यता (चेक बुक अनुरोध, डेबिट कार्ड ब्लॉकिंग, घरेलू / अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन के लिए डेबिट कार्ड को डिसेबल करना, व्हाट्सऐप बैंकिंग पंजीकरण / पंजीकरण रद्द करना तथा यूपीआई को डिसेबल करना)
री-डायरेक्शनल सेवाएं
- फॉरेक्स सुविधाएं
- बड़ौदाइंस्टा स्मार्ट ट्रेड
- फॉरेक्स रिटेलसुविधाएं
- फॉरेक्स उत्पादों को जारी करने / उनके लॉजमेंट संबंधी दिशानिर्देश
- अनुरोध सेवाएं
- डीमैट एवं ट्रेडिंग खाता खोलना
- वरिष्ठ नागरिक बचत योजना खाता खोलना
- ईकेवीपी खोलना
- एनपीएस खाता खोलना
- लॉकर सुविधा
बड़ौदा फास्टैग सेवाएं :
- टैग में बकाया शेषराशि की पूछताछ
- नए फास्टैग के लिए आवेदन करें
- बड़ौदा फास्टैग का विवरण
- लघु विवरणी (टैग लेनदेन)
धन प्रबंधन सेवाएं – इंडियाफर्स्ट लाइफ इंश्योरेंस
अन्य सेवाएं
- एमएसएमई बैंकिंग उत्पाद
- कृषि ऋण और सेवाएं
- कृषि ऋण कि अधिक लाभ की आवश्यकता है? विशिष्ता
- कृषि ऋण के लिए आवेदन करें
- बड़ौदा किसान
- एफडी कैलकुलेटर
- होटल / बस / फ्लाइट बुकिंग
- उपयोगिता बिल भुगतान
- कर भुगतान
- एएसबीए सब्सक्रिप्शन
डिजिटल ऋण सेवाएं
- वैयक्तिक ऋण
- वाहन ऋण
- गृह ऋण
- मुद्रा ऋण
अन्य सुविधाएं
- अपने बैंकिंग उत्पादों को जानें
- डिजिटल बैंकिंग उत्पाद
- ब्याज दर और प्रभार
- नजदीकी शाखाओं / एटीएम का पता लगाएं
- संपर्क केंद्र विवरण
- शिकायत करें
- बैंक की अधिसूचना का चयन करें
- ग्राहक फीडबैक प्राप्त करना (केवल ग्राहकों के लिए)
- चेक बुक हेतु अनुरोध
- पॉज़िटिव पे अनुरोध
- चेक बुक हेतु अनुरोध ट्रैक करना
- डेबिट कार्ड ब्लॉक करना
- पीओएस/ईसीओएमएम/एटीएम लेन-देन हेतु कार्ड को निष्क्रिय करना (घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय)
- यूपीआई को निष्क्रिय करना
व्हाट्सऐप बैंकिंग : रजिस्टर कैसे करें?
चरण 1: स्वयं को रजिस्टर करें
अपने मोबाइल संपर्क सूची में बैंक के व्हाट्सऐप कारोबार खाता संख्या 8433 888 777 को सेव करें
अथवा
बैंक के व्हाट्सऐप नंबर पर सीधे संवाद करने हेतु नीचे दर्शाए गए लिंक पर क्लिक करें - https://wa.me/918433888777?text=Hi
चरण 2: चैटिंग आरंभ कीजिए
व्हाट्सऐप प्लेटफार्म का उपयोग करते हुए इस नंबर पर ‘Hi’ भेजें और अपनी बातचीत शुरू करें. बातचीत के आरंभ का तात्पर्य यह होगा कि आप व्हाट्सऐप बैंकिंग के नियम व शर्तों से सहमत हैं.
ओमेगा फैटी एसिड 3
ओमेगा फैटी एसिड का सेवन आपके बालों को अंदर से बेहतर बनाने में मदद कर सकता है क्योंकि यह पोषक तत्वों और प्रोटीन से भरपूर होता है। एंटीऑक्सीडेंट के साथ ओमेगा सप्लीमेंट लेने से बालों के घनत्व और व्यास में सुधार करने में मदद मिलती है। यह बालों का झड़ना भी कम करता है।
जो लोग वजन कम करना चाहते हैं उनके लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड की अत्यधिक अनुशंसा की जाती है, लेकिन अत्यधिक खपत विपरीत परिणाम दिखा सकती है। जैसा कि आप पहले से ही जानते हैं, मछली का तेल वसा में उच्च और कैलोरी में भी उच्च होता है, इसलिए बहुत अधिक आपके चयापचय वजन को बढ़ा सकता है।
एक समृद्ध अंडे में ओमेगा -3 एस की मात्रा लगभग 100 से 500 मिलीग्राम प्रति अंडे के बीच काफी भिन्न होती है। ओमेगा-3 अंडे का सबसे लोकप्रिय ब्रांड प्रति अंडे में केवल 125 मिलीग्राम ओमेगा-3 का दावा करता है।
अधिक लाभ की आवश्यकता है?
Rewarded
Earn reward points on transactions made at POS and e-commerce outlets
Book your locker
Deposit lockers are available to keep your valuables in a stringent and safe environment
Financial Advice?
Connect to our financial advisors to seek assistance and meet set financial goals.
अधिक लाभ की आवश्यकता है?
आवेदन पूर्णतया ऑनलाईन है जिसमें पोर्टल https://sso.rajasthan.gov.in/signin?ru=imsupy पर लॉगिन करते हुये आवेदन प्रस्तुत किया जा सकता है।
योजनान्तर्गत किस उद्देश्य से ऋण उपलब्ध करवाएं जाएगे ?
योजनान्तर्गत विनिर्माण, सेवा एवं व्यापार आधारित उद्यम हेतु बैंक/वित्तीय संस्थानों के माध्यम से ऋण उपलब्ध करवाया जाएगा। नये उद्यम की स्थापना के साथ ही पूर्व में स्थापित उद्यम के विस्तार/विविधीकरण /आधुनिकीकरण इत्यादि हेतु ऋण उपलब्ध करवाएं जा सकेगे।
योजनान्तर्गत किनके द्वारा ऋण लिया जा सकता है ?
18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग की व्यक्तिगत महिला आवेदक अथवा महिला स्वयं सहायता समूह अथवा महिला अधिक लाभ की आवश्यकता है? स्वयं सहायता समूहों के संघ (क्लस्टर/फेडरेशन) जो नया उद्यम स्थापित करना अथवा पूर्व संचालित उद्यम का विस्तार/विविधीकरण/ आधुनिकीकरण करना चाहते हैं।
योजना अन्तर्गत अधिकतम ऋण राशि क्या है ?
क्र.सं. | वर्गीकरण | अधिकतम ऋण राशि |
1. | उद्यम स्थापना हेतु | 1.00 करोड |
2. | व्यापार हेतु | 10.00 लाख |
3. | व्यक्तिगत महिला लाभार्थी तथा महिला स्वयं सहायता समूह | 50.00 लाख |
4. | महिला स्वयं सहायता समूह संघों (क्लस्टर/फेडरेशन) | 1.00 करोड |
क्या भूमि क्रय हेतु लिया गया ऋण योजना में लाभ हेतु पात्र होगा?
क्या उद्योग स्थापना के लिए वर्कशैड/भवन निर्माण हेतु लिया गया ऋण योजना में लाभ हेतु पात्र होगा?
हॉ, वर्कशैड/भवन निर्माण हेतु देय ऋण राशि की अधिकतम सीमा परियोजना प्रस्ताव की स्वीकृत राशि की 20% तक ही होगी।
क्या प्रोजेक्ट राशि ऋण राशि से अधिक हो सकती है।
योजनान्तर्गत अधिकतम ऋण सीमा 1.00 करोड है तथा अधिकतम ऋण अनुदान राशि 15.00 लाख है। किन्तु यदि आवेदक स्वयं का अंशदान अधिक देना चाहता तो इस स्थिति में प्रोजेक्ट राशि अधिक हो सकती है। उदाहरणार्थ -किसी आवेदक को बैंक/ वित्तीय संस्थान से उद्यम हेतु ऋण लेने बाबत राशि रूपये 1.5 करोड़ की आवश्यकता है तो ऐसी स्थिति में योजनान्तर्गत स्वीकृत ऋण की अधिकतम सीमा 1.00 करोड होगी शेष 50.00 लाख आवेदक स्वयं का अंशदान लगा सकता है इस प्रकार प्रोजेक्ट राशि रूपये 1.5 करोड हो सकती है किन्तु योजनान्तर्गत स्वीकृत ऋण 1.00 करोड ही होगा।
राज्य सरकार द्वारा योजनान्तर्गत कितना ऋण अनुदान देय है ?
1. योजनान्तर्गत स्वीकृत ऋण राशि का 25% ऋण अनुदान देय है।
2. विशेष श्रेणी विधवा/परित्यक्ता/ हिंसा से पीडित महिला/ दिव्यांग/ अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के आवेदकों को स्वीकृत ऋण राशि का 30% ऋण अनुदान देय है।
ऋण अनुदान का लाभ कब दिया अधिक लाभ की आवश्यकता है? जायेगा?
ऋण अनुदान की राशि ऋण प्राप्तकर्ता (लाभार्थी) के खाते में टर्म डिपोजिट रिसिप्ट (TDR) के रूप में 3 साल तक के लिए जमा किया जाएगा। टर्म डिपोजिट रिसिप्ट (TDR) तक के ऋण पर ऋण प्राप्तकर्ता से बैंक द्वारा ब्याज नहीं लिया जाएगा। 3 साल तक उद्यम के सफलतापूर्वक संचालन तथा निरन्तर ऋण पुनर्भुगतान की स्थिति में ऋण अनुदान की राशि बकाया ऋण राशि में से कम कर दी जायेगी। उदाहरणार्थ - यदि किसी लाभार्थी को योजनान्तर्गत राशि रूपये 10.00 लाख का ऋण स्वीकृत हुआ है तो ऋण अनुदान की 25% राशि रूपये 2.50 लाख पर लाभार्थी को तीन वर्ष तक ब्याज नहीं देना होगा तथा उसके पश्चात् उक्त राशि उसके बकाया ऋण में से कम कर दी जाएगी।
व्यक्तिगत आवेदक की न्यूनतम एवं अधिकतम आयु सीमा क्या है ?
व्यक्तिगत आवेदक की न्यूनतम आयु 18 वर्ष या इससे अधिक होना आवश्यक है । आवेदक की अधिकतम आयु सीमा का कोई प्रावधान नहीं है।
क्या सम्पार्ष्विक प्रतिभूति (Collateral Security) जरूरी है ?
भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा निर्देशानुसार राशि रू.10 लाख तक के ऋण पर सम्पार्ष्विक प्रतिभूति (Collateral Security) की मांग नही की जायेगी। राशि रू. 10 लाख से अधिक की ऋण राशि वाले प्रोजेक्ट हेतु वित्तीय संस्थान द्वारा नियमानुसार सम्पार्ष्विक प्रतिभूति (Collateral Security) ली जा सकती है ।
कौन - कौन से वित्तीय संस्थानों से ऋण लिया जा सकता है ?
राष्ट्रीयकृत वाणिज्यिक बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्राधिकृत निजी क्षेत्र के अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक तथा अनुसूचित स्मॉल फाईनेंस बैंक, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, राजस्थान वित्त निगम, सिडबी।
प्रजनन दर में कमी और जनसांख्यिकीय लाभ
The translations of EPW Editorials have been made possible by a generous grant from the H T Parekh Foundation, Mumbai. The translations of English-language Editorials into other languages spoken in India is an attempt to engage with a wider, more diverse audience. In case of any discrepancy in the translation, the English-language original will prevail.
जनसांख्यिकीय बदलावों के दो आयाम हैं। इनमें एक प्रजनन से संबंधित है और दूसरा मृत्यु से। किसी भी आबादी की जनसांख्यिकीय लाभ सुनिश्चित करने में प्रजनन संबंधित आयाम की मुख्य भूमिका होती है। प्रजनन दर में कमी आने से हाल के दशकों में भारत में जनसंख्या वृद्धि की दर धीमी पड़ी है। आने वाले दशकों में जनसंख्या वृद्धि कम होने वाली है और कामकाजी लोगों की संख्या बढ़ने वाली है। इसका असर नीतियों पर होगा। जिन राज्यों में प्रजनन दर अधिक थी, वहां भी इसमें गिरावट दर्ज की गई है। 2017 में देश के 22 अधिक लाभ की आवश्यकता है? प्रमुख राज्यों में यह दर 2.2 प्रति महिला थी। असंतुलित लैंगिक अनुपात की वजह से अब भी यह आबादी को स्थिर बनाए रखने वाले 2.1 की दर से अधिक है। हालांकि, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में इसमें काफी विविधता है। प्रजनन दर में आई कमी की वजह आवाजाही में बढ़ोतरी, शादी में देरी, उच्च शिक्षा और महिलाओं की बढ़ती आर्थिक स्वतंत्रता है।
सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम यानी एसआरएस के 2017 के आंकड़े बताते हैं कि इस बारे में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कई विपरीत स्थितियां दिखती हैं। हर आयु वर्ग में प्रजनन दर में कमी आई है। लेकिन शहरी क्षेत्र में अधिक आयु वर्ग की महिलाओं में इसमें बढ़ोतरी हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में 35 साल से अधिक उम्र की महिलाओं की प्रजनन दर में कमी आई है। यह भी पता चला है कि प्रजनन दर कम होने में शिक्षा की भी अहम भूमिका रही है। मोटे तौर पर शहरी क्षेत्र में शिक्षित महिलाओं में प्रजनन दर कम है। लेकिन 30 साल से अधिक उम्र की शिक्षित महिलाओं में यह दर अधिक है। जबकि इस आयु वर्ग की कम शिक्षित महिलाओं में यह दर कम है। ऐसा इसलिए क्योंकि बेहतर शिक्षित महिलाएं शादी और बच्चा पैदा करने के फैसलों को टालने में सक्षम होती हैं। साथ ही उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं भी मिल पाती हैं। शहरी क्षेत्र में इस दर में अपेक्षा से अधिक कमी आ रही है। 2017 में शहरी क्षेत्रों की प्रजनन दर घटते हुए 1.7 पर आ गई। बिहार, राजस्थान और उत्तर प्रदेश को छोड़कर सभी राज्यों में यह दर 2.1 फीसदी से कम या इसके बराबर थी। दस राज्यों के ग्रामीण इलाकों में भी प्रजनन दर 2 से कम है।
आबादी के मानक बताते हैं कि जनसांख्यिकीय बदलाव भारत में एक समान नहीं रहे हैं। एक तरफ जहां आबादी में बढ़ोतरी धीमी हो रही है तो दूसरी तरफ कामकाजी लोगों की संख्या बढ़ रही है। यह जनसांख्यिकीय लाभ की स्थिति है। इसका मतलब यह हुआ कि कामकाजी लोगों में हो रही बढ़ोतरी जनसंख्या वृद्धि से अधिक है। आम तौर पर जनसांख्यिकीय लाभ की स्थिति 40 से 50 साल तक चलती है और इससे फायदा तब ही होता है जब इसका सही ढंग से इस्तेमाल हो। ऐसा नहीं होने पर यह बोझ में तब्दील हो सकता है। भारत में इस मामले में काफी विविधता है, इसलिए अलग-अलग समय पर अलग-अलग क्षेत्रों में इससे लाभ की स्थिति बनेगी। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के मुताबिक दक्षिण और पश्चिमी हिस्से में अधिक उम्र वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है इसलिए जनसांख्यिकीय बदलावों का लाभ लेने के लिए पांच-छह साल का वक्त ही उपलब्ध है। वहीं कुछ राज्यों के पास 10 से 15 साल तक का अवसर है। अधिक प्रजनन दर वाले राज्यों में यह अवसर अधिक है। इसलिए भारत के पास इसका फायदा उठाने के लिए अपेक्षाकृत अधिक समय उपलब्ध है।
निर्भरता अनुपात में भी इस वजह से सुधार हो रहा है। क्योंकि यह माना जाता है कि कामकाजी लोगों की संख्या में बढ़ोतरी से विकास दर को गति मिलती है। लेकिन क्या नीतिनिर्धारकों की ओर से इस स्थिति का लाभ लेने के अधिक लाभ की आवश्यकता है? लिए ठोस नीतियां बनाई जा रही हैं? इसका लाभ तब ही उठाया जा सकता है जब बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल विकास में पर्याप्त निवेश हो। ताकि कामकाजी लोग सक्षम बन सकें। अगर काम करने वाले लोगों के पास पर्याप्त शिक्षा और कौशल होगा तो वे अधिक उत्पादक साबित होंगे। बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी के साथ 45 साल में सबसे अधिक है। इससे पता चलता है कि रोजगार उपलब्ध नहीं हैं। कामकाजी आबादी को रोजगार नहीं मिल पाना दिखाता है कि जनसांख्यिकीय लाभ लेने के लिए उनमें स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण आदि में कमी को दूर करने का काम ठीक से नहीं किया गया है।
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