कुछ सप्ताह, यूनिसेफ स्पेनिश समिति वह द्वारा एक अध्ययन प्रकाशित किया Tomillo आर्थिक अनुसंधान केंद्र (CEET) कहा जाता है बजट में बच्चे. स्पेन में बचपन से संबंधित निवेश नीतियों और के बीच अपने विकास का आकलन 2007 और 2013 जो इसे भारी सामाजिक नेटवर्क में चर्चा की गई है, जिसका मुख्य कारण यह क्षेत्रों के बीच बचपन और किशोरावस्था में सरकारी निवेश की गिरावट और निवेश असमानता उजागर कर दिया.

सेमिनार में निवेश करने के तरीके और महत्व समझाए

प्रतापकाॅलेज ऑफ एजुकेशन जुंडला में सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (एसईबीआई) की ओर से युवा निवेशकों की वित्तीय योजना एवं बचत प्रबंधन पर बुधवार को सेमिनार का आयोजन किया गया। डाॅ. जयपाल जिंदल और डाॅ. नीरज जिंदल ने निवेश करने के तरीके और निवेश का महत्व समझाया। डाॅ. जिंदल ने कहा कि जीवन में बचत निवेश का प्रबंधन बहुत ही आवश्यक है, क्योंकि हमें वर्तमान निवेश नीतियों का महत्व जीवन के साथ भावी जीवन की आवश्यकताओं को ध्यान में रखना पड़ता है। हमारी आवश्यकताएं असीमित हैं इन्हें पूरा करने वाले साधन सीमित होते हैं।

डाॅ. जिंदल ने वित्तीय योजना की जरूरत, भारतीय वित्त बाजार में निवेश के विभिन्न विकल्प, निवेश करने से पहले ध्यान में रखने योग्य बातें, निवेश की शुरुआत कैसे करें आदि बातों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वित्तीय निवेश के महत्व को समझ लिया जाए तो भविष्य में लक्ष्यों को प्राप्त करना आसान हो जाता है। इस अवसर पर काॅलेज की उप प्रधानाचार्या शालिनी देवगन, कविता कुकरेजा, अलका रंगा, प्रियंका गौड़, सीमा अरोड़ा, हर्ष धमीजा, बलिंदर ढुल, पूजा शर्मा, राज शर्मा, हिमाली माणिक, गीता गर्ग, अनीता बत्तरा जतिन भाटिया सहित छात्र अध्यापक मौजूद रहे।

परमधर्मपीठ ने सामाजिक सिद्धांत के अनुरूप नई निवेश नीति लागू की

परमधर्मपीठ और वाटिकन राज्य के वित्तीय निवेश के लिए एक नई एकात्मक नीति 1 सितंबर से शुरू होगी। निवेश नीति का उद्देश्य कलीसिया की शिक्षाओं के अनुरूप निवेश के माध्यम से परमधर्मपीठ की गतिविधियों के वित्तपोषण का समर्थन करने के लिए पर्याप्त प्रतिफल उत्पन्न करना है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार 20 जुलाई 2022 (वाटिकन न्यूज) : परमर्मपीठ और वाटिकन राज्य के वित्तीय निवेश के लिए एक नई एकात्मक नीति 1 सितंबर से प्रभावी होगी, जो एक निवेश नीति द्वारा शासित होगी।

अर्थव्यवस्था सचिवालय (एसपीई) ने मंगलवार को वाटिकन प्रेस कार्यालय द्वारा प्रकाशित एक प्रेस विज्ञप्ति में यह घोषणा की। अर्थव्यवस्था सचिवालय के प्रीफेक्ट, फादर जॉन अंतोनियो गुएरेरो अल्वेस के दस्तावेज़ पर अर्थव्यवस्था परिषद और इस क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ चर्चा की गई थी। पाठ सामग्री को कूरिया में विभागों के प्रमुखों और परमधर्मपीठ से जुड़े संस्थानों के प्रमुखों को संबोधित किया गया था।

कलीसिया की शिक्षाओं के अनुरूप निवेश, सट्टा नहीं

बयान में कहा गया कि "नई निवेश नीति,", "यह सुनिश्चित करता है कि निवेश का उद्देश्य अधिक न्यायपूर्ण और टिकाऊ दुनिया में योगदान करना है; परमधर्मपीठ के निवल मूल्य वास्तविक महत्व को संरक्षित करना, इसकी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए एक स्थायी तरीके से योगदान करने के लिए पर्याप्त प्रतिफल उत्पन्न करना। वित्तीय निवेशों के विशिष्ट बहिष्करण के साथ काथलिक कलीसिया की शिक्षाओं के साथ गठबंधन किया गया है, जो इसके मौलिक सिद्धांतों, जैसे कि जीवन की पवित्रता या मानव की गरिमा या सामान्य भलाई के विपरीत हैं।

इस कारण से यह महत्वपूर्ण है कि ये निवेश "उत्पादक प्रकृति के वित्तीय संचालन के उद्देश्य से हैं, स्वरुप में सट्टा होने के लिए डिज़ाइन किए गए किसी भी निवेश को खारिज करते हैं।"

निवेश आईओआर में एक तदर्थ एपीएसए खाते में प्रवाहित होंगे

नीति, अर्थव्यवस्था के लिए सचिवालय को जोड़ती है, 5 वर्षों के लिए विज्ञापन प्रयोग को मंजूरी दी गई थी और प्रस्तावित मानदंडों का पालन करने के लिए अधिस्थगन अवधि के साथ 1 सितंबर को लागू होगी।

प्रेस विज्ञप्ति में यह भी बताया गया है कि नई निवेश नीति कैसे शुरू की जाएगी।

नोट में लिखा है, "कूरिया संस्थानों को अपने वित्तीय निवेश एपीएसए को सौंपने होंगे, निवेश के लिए अपनी तरलता को स्थानांतरित करना होगा - या उनकी प्रतिभूतियों को विदेशों में या आईओआर में ही जमा करना होगा – इस उद्देश्य से आईओआर में एपीएसए खाता स्थापित है।

"एपीएसए, परमधर्मपीठ की संपत्ति का प्रबंधन करने वाली संस्था के रूप में, परमधर्मपीठ के लिए एक एकल फंड स्थापित करेगा जिसमें विभिन्न वित्तीय साधनों में निवेश प्रवाहित होगा और प्रत्येक संस्थान के लिए एक खाता होगा, रिपोर्टिंग को संसाधित करेगा और प्रतिफल का भुगतान करेगा।"

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था

भारत जीडीपी के संदर्भ में वि‍श्‍व की नवीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था है । यह अपने भौगोलि‍क आकार के संदर्भ में वि‍श्‍व में सातवां सबसे बड़ा देश है और जनसंख्‍या की दृष्‍टि‍ से दूसरा सबसे बड़ा देश है । हाल के वर्षों में भारत गरीबी और बेरोजगारी से संबंधि‍त मुद्दों के बावजूद वि‍श्‍व में सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्‍यवस्‍थाओं में से एक के रूप में उभरा है । महत्‍वपूर्ण समावेशी विकास प्राप्‍त करने की दृष्‍टि‍ से भारत सरकार द्वारा कई गरीबी उन्‍मूलन और रोजगार उत्‍पन्‍न करने वाले कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ।

इति‍हास

ऐति‍हासि‍क रूप से भारत एक बहुत वि‍कसि‍त आर्थिक व्‍यवस्‍था थी जि‍सके वि‍श्‍व के अन्‍य भागों के साथ मजबूत व्‍यापारि‍क संबंध थे । औपनि‍वेशि‍क युग ( 1773-1947 ) के दौरान ब्रि‍टि‍श भारत से सस्‍ती दरों पर कच्‍ची सामग्री खरीदा करते थे और तैयार माल भारतीय बाजारों में सामान्‍य मूल्‍य से कहीं अधि‍क उच्‍चतर कीमत पर बेचा जाता था जि‍सके परि‍णामस्‍वरूप स्रोतों का द्धि‍मार्गी ह्रास होता था । इस अवधि‍ के दौरान वि‍श्‍व की आय में भारत का हि‍स्‍सा 1700 ए डी के 22.3 प्रति‍शत से गि‍रकर 1952 में 3.8 प्रति‍शत रह गया । 1947 में भारत के स्‍वतंत्रता प्राप्‍ति‍ के पश्‍चात अर्थव्‍यवस्‍था की पुननि‍र्माण प्रक्रि‍या प्रारंभ हुई । इस उद्देश्‍य से वि‍भि‍न्‍न नीति‍यॉं और निवेश नीतियों का महत्व योजनाऍं बनाई गयीं और पंचवर्षीय योजनाओं के माध्‍यम से कार्यान्‍वि‍त की गयी ।

1991 में भारत सरकार ने महत्‍वपूर्ण आर्थिक सुधार प्रस्‍तुत कि‍ए जो इस दृष्‍टि‍ से वृहद प्रयास थे जि‍नमें वि‍देश व्‍यापार उदारीकरण, वि‍त्तीय उदारीकरण, कर सुधार और वि‍देशी नि‍वेश के प्रति‍ आग्रह शामि‍ल था । इन उपायों ने भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को गति‍ देने में मदद की तब से भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था बहुत आगे नि‍कल आई है । सकल स्‍वदेशी उत्‍पाद की औसत वृद्धि दर (फैक्‍टर लागत पर) जो 1951 - 91 के दौरान 4.34 प्रति‍शत थी, 1991-2011 के दौरान 6.24 प्रति‍शत के रूप में बढ़ गयी ।

कृषि‍

कृषि‍ भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था की रीढ़ है जो न केवल इसलि‍ए कि‍ इससे देश की अधि‍कांश जनसंख्‍या को खाद्य की आपूर्ति होती है बल्‍कि‍ इसलि‍ए भी भारत की आधी से भी अधि‍क आबादी प्रत्‍यक्ष रूप से जीवि‍का के लि‍ए कृषि‍ पर नि‍र्भर है ।

वि‍भि‍न्‍न नीति‍गत उपायों के द्वारा कृषि‍ उत्‍पादन और उत्‍पादकता में वृद्धि‍ हुई, जि‍सके फलस्‍वरूप एक बड़ी सीमा तक खाद्य सुरक्षा प्राप्‍त हुई । कृषि‍ में वृद्धि‍ ने अन्‍य क्षेत्रों में भी अधि‍कतम रूप से अनुकूल प्रभाव डाला जि‍सके फलस्‍वरूप सम्‍पूर्ण अर्थव्‍यवस्‍था में और अधि‍कांश जनसंख्‍या तक लाभ पहुँचे । वर्ष 2010 - 11 में 241.6 मि‍लि‍यन टन का एक रि‍कार्ड खाद्य उत्‍पादन हुआ, जि‍समें सर्वकालीन उच्‍चतर रूप में गेहूँ, मोटा अनाज और दालों का उत्‍पादन हुआ । कृषि‍ क्षेत्र भारत के जीडीपी का लगभग 22 प्रति‍शत प्रदान करता है ।

उद्योग

औद्योगि‍क क्षेत्र भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के लि‍ए महत्‍वपूर्ण है जोकि‍ वि‍भि‍न्‍न सामाजि‍क, आर्थिक उद्देश्‍यों की पूर्ति के लि‍ए आवश्‍यक है जैसे कि‍ ऋण के बोझ को कम करना, वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश आवक (एफडीआई) का संवर्द्धन करना, आत्‍मनि‍र्भर वि‍तरण को बढ़ाना, वर्तमान आर्थिक परि‍दृय को वैवि‍ध्‍यपूर्ण और आधुनि‍क बनाना, क्षेत्रीय वि‍कास का संर्वद्धन, गरीबी उन्‍मूलन, लोगों के जीवन स्‍तर को उठाना आदि‍ हैं ।

स्‍वतंत्रता प्राप्‍ति‍ के पश्‍चात भारत सरकार देश में औद्योगि‍कीकरण के तीव्र संवर्द्धन की दृष्‍टि‍ से वि‍भि‍न्‍न नीति‍गत उपाय करती रही है । इस दि‍शा में प्रमुख कदम के रूप में औद्योगि‍क नीति‍ संकल्‍प की उदघोषणा करना है जो 1948 में पारि‍त हुआ और उसके अनुसार 1956 और 1991 में पारि‍त हुआ । 1991 के आर्थिक सुधार आयात प्रति‍बंधों को हटाना, पहले सार्वजनि‍क क्षेत्रों के लि‍ए आरक्षि‍त, नि‍जी क्षेत्रों में भागेदारी, बाजार सुनि‍श्‍चि‍त मुद्रा वि‍नि‍मय दरों की उदारीकृत शर्तें ( एफडीआई की आवक / जावक हेतु आदि‍ के द्वारा महत्‍वपूर्ण नीति‍गत परि‍वर्तन लाए । इन कदमों ने भारतीय उद्योग को अत्‍यधि‍क अपेक्षि‍त तीव्रता प्रदान की ।

आज औद्योगि‍क क्षेत्र 1991-92 के 22.8 प्रति‍शत से बढ़कर कुल जीडीपी का 26 प्रति‍शत अंशदान करता है ।

सेवाऍं

आर्थिक उदारीकरण सेवा उद्योग की एक तीव्र बढ़ोतरी के रूप में उभरा है और भारत वर्तमान समय में कृषि‍ आधरि‍त अर्थव्‍यवस्‍था से ज्ञान आधारि‍त अर्थव्‍यवस्‍था के रूप में परि‍वर्तन को देख रहा है । आज सेवा क्षेत्र जीडीपी के लगभग 55 प्रति‍शत ( 1991-92 के 44 प्रति‍शत से बढ़कर ) का अंशदान करता है जो कुल रोजगार का लगभग एक ति‍हाई है और भारत के कुल नि‍र्यातों का एक ति‍हाई है

भारतीय आईटी / साफ्टेवयर क्षेत्र ने एक उल्‍लेखनीय वैश्‍वि‍क ब्रांड पहचान प्राप्‍त की है जि‍सके लि‍ए नि‍म्‍नतर लागत, कुशल, शि‍क्षि‍त और धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलनी वाली जनशक्‍ति‍ के एक बड़े पुल की उपलब्‍धता को श्रेय दि‍या जाना चाहि‍ए । अन्‍य संभावना वाली और वर्द्धित सेवाओं में व्‍यवसाय प्रोसि‍स आउटसोर्सिंग, पर्यटन, यात्रा और परि‍वहन, कई व्‍यावसायि‍क सेवाऍं, आधारभूत ढॉंचे से संबंधि‍त सेवाऍं और वि‍त्तीय सेवाऍं शामि‍ल हैं।

बाहय क्षेत्र

1991 से पहले भारत सरकार ने वि‍देश व्‍यापार और वि‍देशी नि‍वेशों पर प्रति‍बंधों के माध्‍यम से वैश्‍वि‍क प्रति‍योगि‍ता से अपने उद्योगों को संरक्षण देने की एक नीति‍ अपनाई थी ।

उदारीकरण के प्रारंभ होने से भारत का बाहय क्षेत्र नाटकीय रूप से परि‍वर्तित हो गया । वि‍देश व्‍यापार उदार और टैरि‍फ एतर बनाया गया । वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश सहि‍त वि‍देशी संस्‍थागत नि‍वेश कई क्षेत्रों में हाथों - हाथ लि‍ए जा रहे हैं । वि‍त्‍तीय क्षेत्र जैसे बैंकिंग और बीमा का जोरदार उदय हो रहा है । रूपए मूल्‍य अन्‍य मुद्राओं के साथ-साथ जुड़कर बाजार की शक्‍ति‍यों से बड़े रूप में जुड़ रहे हैं ।

आज भारत में 20 बि‍लि‍यन अमरीकी डालर (2010 - 11) का वि‍देशी प्रत्‍यक्ष नि‍वेश हो रहा है निवेश नीतियों का महत्व । देश की वि‍देशी मुद्रा आरक्षि‍त (फारेक्‍स) 28 अक्‍टूबर, 2011 को 320 बि‍लि‍यन अ.डालर है । ( 31.5.1991 के 1.2 बि‍लि‍यन अ.डालर की तुलना में )

भारत माल के सर्वोच्‍च 20 नि‍र्यातकों में से एक है और 2010 में सर्वोच्‍च 10 सेवा नि‍र्यातकों में से एक है ।

निवेश नीतियों का महत्व

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कुछ सप्ताह, यूनिसेफ स्पेनिश समिति वह द्वारा एक अध्ययन प्रकाशित किया Tomillo आर्थिक अनुसंधान केंद्र (CEET) कहा जाता है बजट में बच्चे. स्पेन में बचपन से संबंधित निवेश नीतियों और के बीच अपने विकास का आकलन 2007 और 2013 जो इसे भारी सामाजिक नेटवर्क में चर्चा की गई है, जिसका मुख्य कारण यह क्षेत्रों के बीच बचपन और किशोरावस्था में सरकारी निवेश की गिरावट और निवेश असमानता उजागर कर दिया.

लेकिन अध्ययन में यह भी अन्य पहलुओं है कि बचपन से Espirales परामर्श का मानना ​​है कि सभी व्यक्तियों की वकालत एजेंडे में शामिल किया जाना चाहिए बताते हैं, संगठनों तथा संस्थाओं बच्चों के अधिकारों की दिशा में काम.

एक तरफ़, आवश्यक होना चाहिए स्पष्टता और सूचना के disaggregation सार्वजनिक बजट में परिलक्षित, इतना आसान और डेटा के लिए उपयोग करने के लिए पारदर्शी और अलग अलग दृष्टिकोण से निवेश का विश्लेषण करने के:

  • के अनुसार lifecycles बचपन (बचपन, स्कूल, किशोरावस्था) के बाद से बचपन में निवेश के प्रभाव निम्न चरणों के विकास को प्रभावित करता है और यह इक्विटी के आधार स्थापित करने के लिए आवश्यक है. यह भी विश्लेषण करने के लिए है कि क्या प्रत्येक चक्र की विशेष जरूरतों को कवर कर रहे हैं अनुमति देता है.
  • के अनुसार सामाजिक-आर्थिक स्थिति, विश्लेषण करने के लिए है कि क्या निवेश सबसे जरूरतमंद और कमजोर वर्ग तक पहुँच जाता है, संसाधनों के समान वितरण सुनिश्चित.
  • की अनुमति दे तुलना अन्य बजट या वास्तविक खर्च के साथ, वास्तविक निवेश का ट्रैक रखने और राज्य के बजट में अन्य मदों के साथ तुलना करने के लिए, मात्रा और आबंटित संसाधनों की संरचना और प्रयोग किया जाता दक्षता का विश्लेषण.
  • आकलन करने के लिए निवेश की प्रभावशीलता. इस प्रयोजन के लिए बजट वे विकसित किया जाना चाहिए परिणामों के आधार पर संस्थानों के प्रदर्शन और कार्यक्रमों या परियोजनाओं में सार्वजनिक संसाधनों के उपयोग है कि परिणाम सेट प्राप्त मापने के लिए.
  • सुविधाजनक बनाने के लिए जवाबदेही तंत्र बच्चों और किशोरों में सार्वजनिक निवेश पर, संसदीय स्तर पर हो सकता है, पर्यवेक्षी निकायों द्वारा, स्वतंत्र मानव अधिकार संस्थाओं द्वारा, दूसरों के बीच में. नागरिकों द्वारा सूचनाओं तक पहुंच बच्चों के निवेश नीतियों का महत्व अधिकारों को पूरा करने में सार्वजनिक संसाधनों के उपयोग में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है.

दूसरी ओर, मजबूत किया जाना चाहिए रिक्त स्थान और भागीदारी प्रक्रियाओं नागरिकता से, बच्चों सहित, विभिन्न स्तरों पर बजट के लिए. वहां पहले से ही नगर निगम के स्तर पर कुछ अनुभव हैं, जो स्वायत्त समुदायों के बजट में भागीदारी तंत्र स्थापित करने के लिए एक उदाहरण के रूप में सेवा कर सकते. पूरे समाज, बच्चों सहित, तुम एक की ही होगी अग्रणी भूमिका फैसलों में उन्हें प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित है कि, के रूप में सार्वजनिक नीतियों में निवेश है.

अंतिम, वे स्थापित किया जाना चाहिए न्यूनतम निवेश मानकों बच्चों में राज्य स्तर पर स्पेनिश अन्याय से बचने और सभी बच्चों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करने के लिए, और किशोरों, बच्चों और किशोरों के लिए नीतियों और कार्यक्रमों में इस तरह के निवेश के प्रभाव को निवेश नीतियों का महत्व मापने के लिए संकेतक के उपयोग की सुविधा के लिए, परिणाम और मात्रा की गुणवत्ता का निवेश करने के लिए अधिक से अधिक महत्व देने.

तिथि करने के लिए, बच्चों में निवेश लगातार सरकारों की राजनीतिक इच्छाशक्ति पर निर्भर है, यह समय है कि राज्य की प्राथमिकता बन जाता है और नागरिकों की भागीदारी है, और विशेष रूप से, बच्चों की आवाज के साथ, और किशोरों.

प्रश्न – भारत के आर्थिक वृद्धि में योगदान करने हेतु ‘प्रत्यक्ष विदेशी निवेश’ की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में नीतिगत सुधारों, निवेश में सुगमता तथा व्यवसाय करने में सुगमता पर सरकार द्वारा किए गए उपायों की विवेचना कीजिए।

प्रश्न – भारत के आर्थिक वृद्धि में योगदान करने हेतु ‘प्रत्यक्ष विदेशी निवेश’ की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में नीतिगत सुधारों, निवेश में सुगमता तथा व्यवसाय करने में सुगमता पर सरकार द्वारा किए गए उपायों की विवेचना कीजिए। – 28 May 2021

उत्तर – भारत के आर्थिक वृद्धि

1991 में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह द्वारा भारत में FDI को FEMA के तहत लाया गया था। भारत जैसे देश के लिए, FDI एक आर्थिक सहायता की तरह है जो देश को किसी भी कर्ज में बांधे बिना, विकास के नए आयाम का मार्ग प्रशस्त करती है। FDI से हमारा तात्पर्य केवल धन से ही नहीं बल्कि कौशल, प्रक्रिया, प्रबंधन, प्रौद्योगिकी आदि से भी है।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश एक समूह द्वारा किसी एक देश के व्यवसाय या निगम में स्थायी हित स्थापित करने के इरादे से किया गया निवेश है। यह आर्थिक विकास का एक प्रमुख वाहक है, और देश में आर्थिक विकास निवेश नीतियों का महत्व के लिए गैर-ऋण वित्त का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। एफडीआई घरेलू अर्थव्यवस्था में नई पूंजी, नई तकनीक और रोजगार के अवसर लाता है।

वर्तमान में सरकार ने रक्षा क्षेत्र, दवाओं और चिकित्सा क्षेत्र, नागरिक उड्डयन और खाद्य क्षेत्र में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दी है। एफडीआई को बढ़ावा देने से न केवल निवेश बढ़ेगा, बल्कि उत्पादन के क्षेत्रों का विस्तार करने के लिए नई तकनीकों को भी शामिल किया जाएगा। प्रौद्योगिकियों के उपयोग से वाणिज्य और कृषि उत्पादों का महान विकास होगा, जिससे रोजगार बढ़ेगा और नागरिकों की आय में वृद्धि होगी और देश की अर्थव्यवस्था भी बढ़ेगी।

विदेशी कंपनियों को कम वेतन पर भारत में अधिक काम मिल रहा है, जिससे वे भारत में निवेश की नई संभावनाएं तलाश रही हैं। वहीं सरकार द्वारा निवेश में दी जा रही सुविधा भी विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर रही है। आज भारत एफडीआई के लिए निवेशकों का पसंदीदा गंतव्य बन गया है। दूरसंचार, निर्माण-कार्य, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर आदि ऐसे क्षेत्र हैं, जो काफी विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर रहे हैं। भारत की उदार एफडीआई नीति, केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर सरकार द्वारा किए गए संरचनात्मक सुधार और तेजी से बढ़ता उपभोक्ता बाजार उनमें से कई कारण हैं, जो भारत को अन्य देशों की तुलना में एफडीआई के लिए अधिक आकर्षक बनाते हैं।

एफडीआई बढ़ाने के लिए सरकार के प्रयास:

  • वर्ष 2020 में, इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण क्षेत्र में अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए, ‘उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन-पीएलआई’ जैसी योजनाओं को अधिसूचित किया गया है।
  • वर्ष 2019 में, कोयला खनन गतिविधियों में स्वचालित मार्ग के तहत 100% FDI की अनुमति देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा FDI नीति 2017 में संशोधन किया गया था।
  • इसके अलावा सरकार की ओर से डिजिटल क्षेत्र में 26% FDI की अनुमति दी गई है। इस क्षेत्र में निवेश नीतियों का महत्व भारत में अनुकूल जनसांख्यिकी, पर्याप्त मोबाइल और इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के कारण, उच्च एफडीआई की संभावना है। यह बड़े पैमाने पर खपत और प्रौद्योगिकी के साथ-साथ विदेशी निवेशकों को भारत में एक बड़े और आशाजनक बाजार प्रदान करने का अवसर प्रदान करता है।
  • विदेशी निवेश सुविधा पोर्टल-एफआईएफपी निवेशकों को एफडीआई की सुविधा प्रदान करने के लिए भारत सरकार का एक ऑनलाइन एकल बिंदु इंटरफेस है। यह ‘उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय’, उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा प्रशासित है।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वृद्धि की उम्मीदें:

  • हाल के दिनों में विदेशी निवेशकों ने ट्रेन के निजी संचालन, और हवाई अड्डों के निर्माण के लिए बोली लगाने की प्रक्रिया की अनुमति देने के सरकार के कदम में रुचि दिखाई। इसी तरह, मार्च 2020 में, अनिवासी भारतीयों- एनआरआई को सरकार द्वारा एयर इंडिया में 100% हिस्सेदारी प्राप्त करने की अनुमति दी गई है।
  • सरकार द्वारा मई 2020 में रक्षा निर्माण जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में स्वचालित मार्ग के तहत FDI की सीमा 49% से बढ़ाकर 74% कर दी गई है। सरकार का यह कदम आगे भी बड़े निवेश को आकर्षित कर सकता है।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आर्थिक विकास के लिए एक प्रमुख प्रेरक शक्ति है, इसलिए एक मजबूत और आसानी से सुलभ एफडीआई सुनिश्चित किया जाना चाहिए। इस प्रकार महामारी के बाद की अवधि में आर्थिक विकास और भारत का बाजार देश में बड़े निवेश को आकर्षित करेगा।

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