विनिर्माण क्षेत्र में आई तेजी
देश के विनिर्माण क्षेत्र में नए ऑर्डर मिलने, उत्पादन और रोजगार गतिविधियां बढने से उछाल दर्ज किया गया। निक्केई इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) में अगस्त महीने में उछलकर 51.2 पर पहुंच गया जबकि जुलाई में यह 47.9 था।

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चिंता करने की जरूरत नहीं, भारत के पास विदेशी मुद्रा का पर्याप्त भंडार

चिंता करने की जरूरत नहीं, भारत के पास विदेशी मुद्रा का पर्याप्त भंडार

आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने विदेशी मुद्रा भंडार में कमी को लेकर चिंता को खारिज करते हुए कहा कि इसे जरूरत से अधिक तूल दिया जा रहा है। मंगलवार को उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति से पार पाने के लिए देश के पास विदेशी मुद्रा का पर्याप्त भंडार है।

लगातार सातवें सप्ताह घटा

विदेशी मुद्रा भंडार लगातार सातवें सप्ताह घटा है और यह 16 सितंबर को समाप्त सप्ताह में कम होकर 545.65 अरब डॉलर पर आ गया, जबकि मार्च, 2022 में यह 607.31 अरब डॉलर था। सेठ ने कहा, विदेशी मुद्रा भंडार में कमी का कारण विदेशी मुद्रा प्रवाह में कमी और व्यापार घाटा बढ़ना है। मुझे नहीं लगता कि यह कोई विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है? चिंता वाली बात है। भारत के पास मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए विदेशी मुद्रा का बड़ा भंडार है।

अच्छे दिन: विदेशी मुद्रा भंडार 405 अरब डॉलर के रिकार्ड स्तर पर

प्रधानमंत्री मोदी की सरकार बनने के बाद देश में विदेशी मुद्रा भंडार में ऐतिहासिक वृद्धि हुई है। अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में इस साल कई रिकॉर्ड बने हैं। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक 22 दिसंबर को समाप्‍त सप्‍ताह के दौरान देश का विदेशी मुद्रा भंडार 3.53 अरब विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है? डॉलर बढ़कर 404.921 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा भंडार ने 400 अरब डॉलर का स्‍तर पहली बार इस साल सितंबर के पहले हफ्ते में पार किया था।

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आइए इस बहाने एक दृष्टि डालते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल में देश की अर्थव्यवस्था की प्रमुख उपलब्धियों पर।

सरकार अपनी ही करेंसी क्यों गिरा देती है, इससे क्या फायदा होता है, आसान भाषा में पूरा गणित समझ लीजिये

Rupees vs Dollar: इस टाइम इंडियन रुपया अपने सबसे निचले स्तर में है, फिर भी भारतीय इन्वेस्टर्स के लिए यह फायदेमंद है. आज अपन ये जानेगें कि रुपया को डॉलर से ही क्यों कम्पेयर किया जाता है और करेंसी घटती बढ़ती कैसे है, इससे क्या फायदा होता है और नुकसान क्या होते हैं।

Rupees vs Dollar: इस टाइम इंडियन रुपैया अमेरिकी डॉलर की तुलना में सबसे निचले स्तर में पहुंच गया है, विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है? फिर भी विदेशों में इन्वेस्ट करने वाले इंडियन इन्वेस्टर्स के लिए यह फायदेमंद साबित हो रहा है, 1 Dollar की कीमत 76 रुपए के पार हो गई है। आपको यह जान कर निश्चित रूप से बुरा लगता होगा कि बताओ यार रुपए दिन ब दिन टूटता ही जा रहा है। आज अपन रुपए और डॉलर के बीच के कनेक्शन का पूरा गणित समझ लेते हैं और साथ ही अपन ये भी जानेंगे कि सरकारें अपनी ही करेंसी को क्यों गिरा देती हैं, यह फायदा पहुंचता है या इसके नुकसान होते हैं।

टूटता रुपए एक्सपोर्ट को कैसे बढ़ाता है (How Downfall In Rupees Increases Export)

इसको अपन उदाहरण से समझें तो अच्छे से समझ में आएगा

मान लीजिये कोई इंडियन बिजनेसमैन अमेरिका के व्यापरी को जूते एक्सपोर्ट करता है. और रुपए की वेल्यू 70 रुपए प्रति डॉलर है, एक जोड़ी जूते की कीमत 1000 रुपए है, अमेरिका का व्यापारी 500 जोड़ी जूतों का आर्डर देता है, और इस हिसाब से 7,142 डॉलर का पेमेंट करता है, एक दिन अमेरिका का व्यापारी बोलता है कि हमको फलाने देश से ज़्यादा सस्ता जूता मिल रहा है, तुमको बेचना है तो दाम कम करो, इंडियन बिजनेसमैन ऐसा करने से मना क्र देता है और अमेरिका उससे आर्डर लेना बंद कर देता है, कुछ समय बात रुपए की वेल्यू घट कर 75 हो जाती है, तो अमेरिकी व्यापारी फिर से माल मांगना शुरू कर देता है। जूते का रेट 1000 ही है लेकिन अमेरिकी व्यापरी को अब 35,714 रुपए सस्ता पड़ता है। यानी के जितना पैसा वो पहले देता था अब उतने में वह 35 जोड़ी जूते और मंगा सकता है। इसके बाद कई अन्य अमेरिकी इम्पोर्टर भी भारतीय एक्सपोर्टर्स को ऑर्डर देने लगते हैं. बाहर से आने वाले विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है? महंगे डॉलर पर भारतीय निर्यातक को जो नुकसान हो रहा था, उसकी भरपाई व्यापार बढ़ने से हो जाती है. लेकिन एक्सपोर्ट की मात्रा बढ़ने से पूरी इकनॉमी में असका असर दिखता है. देश विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है? का कुल निर्यात बढ़ने लगता है.

व्यापर घाटे का करेंसी से क्या कनेक्शन है (Connection Between Currency And Trade Deficit)

कोई देश बाहर से ज्यादा माल इम्पोर्ट करे और कम माल एक्सपोर्ट करे, तब व्यापार घाटे (Trade Deficit) की परिस्थिति बनती है. आर्थिक भाषा में इसे नकारात्मक व्यापार संतुलन ( Negative Trade Balance) कहते हैं. घरेलू करंसी के टूटने से होने विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है? से इस मोर्चे पर थोड़ी राहत मिलती है.अलबत्ता, विदेशी करंसी महंगी हुई तो उनके लिए भारत का माल सस्ता होगा और भारतीयों के लिए विदेशी माल महंगा हो जाएगा. यानी इम्पोर्ट विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है? की तुलना में एक्सपोर्ट बढ़ेगा. सरकारी खजाने के मोर्चे पर इससे चालू खाते (Current Account) की हालत सुधरेगी.

लेकिन जब देश में बाहरी सामान पर निर्भरता बहुत ज्यादा हो जाती है तो इम्पोर्ट बिल एक सीमा से कम नहीं हो सकता, भारत अपनी जरूरत का 83% कच्चा तेल बाहर से इम्पोर्ट करता है. इसके अलावा मोबाइल फोन, खाने का तेल, दलहन, सोना-चांदी, रसायन और उर्वरक का भी बड़े पैमाने पर इम्पोर्ट होता है. रुपया कमजोर होने से ये चीजें देश में महंगी हो जाती हैं. लेकिन दूसरी तरफ भारत से बड़े पैमाने पर कल-पुर्जे, चाय, कॉफी, चावल, मसाले, समुद्री उत्पाद, मीट जैसे सामान का निर्यात होता है. ऐसे में रुपया कमजोर होने से एक्सपोर्ट ऑर्डर बढ़ जाता है. ज्यादा निर्यात यानी ज्यादा डॉलर. ऊपर से महंगा डॉलर अंदर आकर ज्यादा रुपया बन जाता है.

RBI रुपया कंट्रोल कैसे करता है (Who Controls Indian Currency)

भारत में रुपये की वेल्यू सरकार निश्चित नहीं करती. रुपया की वेल्यू पूरी तरह फॉरेन एक्सचेंज मार्केट(Foreign Exchange Market) के हवाले होता है. डिमांड और सप्लाई की परिस्थिति रुपए की कीमत तय करती है. हालांकि साल 1975 तक करंसी रेट में सरकार खूब दखल देती थी. जैसा कि चीन सहित दुनिया के कई देशों में अब भी होता है. फिर आरबीआई रुपये को गिराने या चढ़ाने में कैसे कारगर हो सकता है? यह सब कुछ इनडायरेक्ट होता है. , मौजूदा हालात की बात करें तो, पिछले कई महीनों से RBI बड़े पैमाने पर डॉलर की खरीदारी कर रहा है. वह जितना ज्यादा डॉलर खरीदेगा, रुपये पर उतना दबाव बनता जाएगा.रुपए गिरेगा.

RBI के कुल ऐसेटे्स में विदेशी मुद्रा की साझेदारी तकरीबन तीन चौथाई होती है. दिसंबर विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है? की शुरुआत में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 636.9 अरब डॉलर था. विदेशी मुद्रा भंडार में निर्यात, बाहर से शेयरों और म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट, टूरिस्म सहित कई सोर्स से बढ़त होती है. लेकिन जब RBI बड़े पैमाने पर फॉरेन करेंसी खरीदने लगता है तो इसे भंडार में इजाफे के तौर पर देखा जाता है और देसी करंसी कमजोर पड़ती जाती है.

ED notice : कोलकाता के किस व्यवसायी को ईडी ने दिया 206 का नोटिस, जानिए कैसे

इडी ने आरबीआई विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है? के नियमों और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम का उल्लंघन कर सिंगापुर के एक गोपनीय विदेशी बैंक खाते में 206 करोड़ रूपए रखने के आरोप में कोलकाता के एक व्यवसायी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। बुधवार को जारी बयान में केंद्रीय जांच एजेंसी ने एक बिल्डर सिंगापुर में विदेशी मुद्रा में अवैध लेनदेन, व्यापार, अवैध बाहरी उधार और अनधिकृत रूप से विदेशी बैंक खाते खोलने का आरोप लगाया है।

कोलकाता के किस व्यवसायी को ईडी ने 206 का नोटिस दिया, जानिए कैसे

कोलकाता
प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने आरबीआई के नियमों और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम का उल्लंघन कर सिंगापुर के एक गोपनीय विदेशी बैंक खाते में 206 करोड़ रूपए रखने के आरोप में कोलकाता के एक व्यवसायी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। बुधवार को जारी बयान में केंद्रीय जांच एजेंसी ने बिल्डर और मणि समूह के प्रमोटर संजय झुनझुनवाला पर सिंगापुर में विदेशी मुद्रा में अवैध लेनदेन, व्यापार, अवैध बाहरी उधार और अनधिकृत रूप से विदेशी बैंक खाते खोलने का आरोप लगाया है।
एजेंसी के विशेष निदेशक स्तर के एक अधिकारी ने बताया कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के कथित उल्लंघन के लिए व्यवसायी को 206 करोड़ रुपए का कारण बताओ नोटिस जारी किया है। एजेंसी के मुताबिक वित्तीय प्रवर्तन इकाई को विदेश से विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ क्या पकड़ है? मामले की सूचना मिली थी। प्रवर्तन निदेशालय कीजांच के बाद नोटिस जारी किया गया है।
जांच में पाया गया है कि झुनझुनवाला ने अनधिकृत रूप से एलजीटी बैंक (सिंगापुर) में व्यक्तिगत विदेशी बैंक खाता खोला और भारी उधारी के जरिए विदेशी मुद्राओं में लेनदेन किया।
इडी ने जांच में पाया है कि झुनझुनवाला ने कोलकाता से सटे राजारहाट सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और सूचना प्रौद्योगिकी सेवा (आईटीएस) परियोजनाओं में निवेश करने के लिए एक विदेशी नागरिक के साथ संयुक्त उपक्रम का करार किया था। जिसकी परियोजना जमीन पर नहीं उतरी। उक्त संयुक्त उद्यम समझौते की आड़ में उसने उक्त कंपनी के नाम से दूसरे देश में विदेशी बैंक खाते खोले और उससे लेन-देन किया। उक्त संयुक्त उद्यम समझौते की आड़ में उसने उक्त कंपनी के नाम से दूसरे देश में विदेशी बैंक खाता खोला और उससे लेने-देन किया, जिसमें झुनझुनवाला लाभकारी मालिक है।

कैंसर की दवा मंगाने के नाम पर कर्नल से की थी 1 करोड़ 81 लाख की ठगी

विदेशी साइबर अपराधियों ने थाना बीटा-2 के रहने रिटायर्ड कर्नल को निशाना बनाया था. इन लोगों ने कर्नल से कैंसर की दवा मंगाने के नाम पर 1 करोड़ 81 लाख की ठगी की थी. कर्नल की शिकायत पर पुलिस ने जांच शुरू की और आरोपियों को धर दबोचा. पुलिस ने जिन साइबर अपराधियों के पकड़ा में उसकी पहचान इके उफेरेमवुकवे, एडविन कॉलिन्स और ओकोलिओ डैमिओन के रूप में हुई है. पुलिस ने इनको ग्रेटर नोएडा के रामपुर मार्केट के पास से गिरफ्तार किया है.

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