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खाता रखने की प्रणाली के प्रकार

यूनियन बैंक यूपीआई एप्लिकेशन
यूपीआई (यूनिफाईड भुगतान इंटरफेस) एप्लिकेशन एक भुगतान प्रणाली है जो आपको किन्ही दो पार्टियों के बीच निधि प्रेषण के लिये अनुमत करती है. यूपीआई एप्लिकेशन ग्राहक को आईएमपीएस भुगतान पटल का प्रयोग करने वाले किसी भी व्यक्ति को उसके खाता नंबर या आईएफएससी कोड की जानकारी के बिना ही तत्काल निधि अंतरण के लिये अनुमति प्रदान करती है. इसके लिये केवल वर्चुअल पहचान की अवश्यकता होगी, जोकि [email protected] (एक उदाहरण मात्र), या [email protected] (अपने फोन नंबर से बदल कर 1234567890) हो सकती है.

लाभ

  • निधि का तत्काल निपटान
  • खाते की जानकारी को याद रखने या साझा करने की आवश्यकता नहीं है.
  • धन मंगाना
  • वर्चुअल आईडी, खाता नंबर या आधार नंबर का प्रयोग कर धन भेजना
  • एक ही एप्लिकेशन में बैंक के कई खातों को जोड़ना

उपलब्धता
यूनियन बैंक यूपीआई केवल एन्ड्रॉएड डिवाइसों पर ही उपलब्ध है.

पंजीकरण कैसे करें

चरण 1: प्रोफाइल तैयार करें

    खाता रखने की प्रणाली के प्रकार
  • अपने हैंडसेट में यूपीआई एप्लिकेशन को डाउनलोड करें(वर्तमान में केवल एन्ड्रॉएड डिवाइसों के लिये उपलब्ध है, "Union Bank UPI" खोजें)
  • यदि आप दो सिम वाला हैंड सेट उपयोग कर रहे हैं तो एप्लिकेशन आपसे उस सिम का चयन करने के लिये कहेगी जो आपके बैंक के साथ पंजीकृत है.
  • एप्लिकेशन मोबाइल नंबर के सत्यापन के लिये एक संदेश भेजेगी.(पंजीकृत मोबाइल में पर्याप्त टॉक टाइम होना सुनिश्चित करें)
  • सफल सत्यापन पर आप प्रोफाइल बनाएं.

चरण 2: अपने बैंक खातों को जोड़ें

  • एड अकाउंट विकल्प पर जायें
  • उपलब्ध बैंकों की सूची से बैंक का नाम चुनें
  • यदि चयन किये गये बैंक में आपका नंबर पंजीकृत है तो आप बैंक में खोले गये अपने खाता/खातों को देख सकेंगे.
  • उस खाते को चुनें, जिसे आप जोड़ना चाहते हैं और खाते की वर्चुअल आईडी बनाएं.(जिसे आप निधि प्राप्ति के लिये अन्य के साथ साझा कर सकते हैं.)

चरण 3: पिन/मोबाइल बैंकिंग पंजीकरण सेट करें

  • खाते को जोड़ने के उपरांत आपको यूपीआई का उपयोग करने के लिये चयनित खाते के लिये पिन सेट/पंजीकरण की आवश्यकता होगी.
  • सेट एमपिन विकल्प पर जायें और अपने खाते को चुनें, जिसके लिये पिन सेट करना है.
  • ओटीपी दर्ज करें, जो आपको आपके मोबाइल पर प्राप्त होगा.
  • पिन सेट करें और पिन की पुष्टि करें.
  • खाते के साथ संबंधित अपने डेबिट कार्ड के अंतिम 6 अंकों और कालातीत तिथि को दर्ज करें.
  • सफल सत्यापन पर आपको "पिन सफलतापूर्वक बनाया गया" का संदेश प्राप्त होगा.

धन को कैसे भेजें या प्राप्त करें

धन भेजना:

  • "पे” विकल्प पर जायें और अपने खाते को चुनें.
  • आदाता के पते को दर्ज करें (यदि आपके पास ग्राहक का वर्चुअल आईडी है तो उसके वर्चुअल पते का चयन करें).
  • लाभार्थी के वर्चुअल पते एवं राशि को भरें, यदि आप लाभार्थी को पंजीकृत करना चाहते हैं तो पार्टिसिपेंट विकल्प के माध्यम से कर सकते हैं.
  • अब सब्मिट करें और अपना पिन नंबर डालने के उपरांत विवरण का सत्यापन करें.
  • "टीएक्सएन स्टेटस” मेन्यू के माध्यम से आप संव्यवार की स्थिति का पता लगा सकते हैं.

धन प्राप्त करना:

  • "कलेक्ट" विकल्प पर जायें और अपने खाते का चयन करें.
  • ग्राहक के वर्चुअल विवरण को दर्ज करें जिससे आप धन प्राप्त करना चाहते है.
  • अब सब्मिट करें और विवरण को सत्यापित करें.
  • "टीएक्सएन स्टेटस” मेन्यू के माध्यम से आप लेन-देन की स्थिति का पता लगा सकते हैं.
  • जैसे ही आपके लेन-देन को अनुमोदन प्राप्त हो जाएगा बैंक की ओर से आपको एक सूचना/एसएमएस प्राप्त होगा.

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

- यूपीआई (यूनिफाईड भुगतान इंटरफेस) एक भुगतान प्रणाली है जोकि आपको किसी भी दो पार्टियों को धन अंतरित करने के लिये अनुमत करती है.

- एन्ड्रॉएड डिवाइस के लिये गूगल प्ले स्टोर पर जाएं और Union bank UPI App को खोजें. इन्स्टासल पर क्लिक करें और मंजूरियों को स्वीकार करें.

- आपको डाटा कनेक्टिविटि के साथ एक स्मार्ट फोन की आवश्यकता होगी और आपके बैंक खाते के साथ अपने मोबाइल नंबर को लिंक करना होगा.

- यूपीआई एप्प एन्ड्रॉएड 4.0 या उससे उपर के एन्ड्रॉएड फोनों के अनुकूल होगी. आगे चलकर यह आईओएस एवं विंडोज फोनों पर भी उपलब्ध होगी.

- इस समय भारतीय मोबाइलों के लिये यह यूपीआई एप्प केवल भारत में उपलब्ध है.

- यूपीआई उन समस्त सदस्य बैंकों के लिये कार्य करती है जो यूपीआई प्लेटफार्म पर हैं.

- जी हां, बैंक के साथ वही नंबर लिंक होना चाहिए जिसका उपयोग आप यूपरीआई एप्लिकेशन में करना चाहते हैं.

-वर्चुअल आईडी आपके खाते के लिये एक विशिष्ट आईडी है, इस वर्चुअल आईडी का प्रयोग कर आप धन प्रेषण एवं प्राप्ति हेतु कर सकते हैं.

-जी हां, आप वर्चुअल आईडी या खाता नंबर और आईएफएससी का प्रयोग कर बिना लाभार्थी को जोड़े निधि प्रेषण कर सकते हैं.

-- एप्लिकेशन में लॉगइन करें, विवरण पर जाएं और लाभार्थी को जोड़ने के लिए "+" चिन्ह पर क्लिक करें.

- सेट पिन विकल्प पर जाएं, उस खाते का चयन करें जिसके लिये आप पिन सेट करना चाहते हैं. डेबिट कार्ड का विवरण, ओटीपी और नया पिन दर्ज करें. यदि विवरण सही होगा तो आपको PIN set successful का संदेश प्राप्त हो जाएगा.

- जी हां, पिन को सेट करने के लिये डेबिट कार्ड अनिवार्य है.

- जी हां, परंतु डेबिट कार्ड अनिवार्य है.

- जी हां, आपको प्रत्येक खाते एवं प्रत्येक राशि के लिये सेट पिन की आवश्यकता है जिससे आप संव्यवहार करना चाहते हैं.

- "Txn Status" पर जाएं, दिनांक की रेंज देते हुए अपने संव्यवहार को चुने और अपनी शिकायत दर्ज करें. आपको शिकायत का एक संदर्भ नंबर प्राप्त होगा. आपकी शिकायत का निपटान टी-2 कार्यदिवसों में कर दिया जायेगा.

-"Complaint Status" पर जाएं और शिकायत की स्थित का पता लगाने के लिये आपके संदर्भ नंबर को चुनें.

- उसी प्रकार से है, यह बैंकों के बीच एक बहुत ही सुस्पष्ट और मानकीकृत हैं, जिसका अर्थ है कि आप कुछ ही क्लिक के साथ किसी भी बैंक खाते से अंतरण कर सकते हैं.

- यूपीआई, एमआईपीएस प्लेटफार्म पर कार्य करता है जो एक तत्काल निधि अंतरण प्रणाली है. अत: यूनियन बैंक यूपीआई से सभी संव्यवहार पूर्णतया तत्काल हैं.

- तत्काल भुगतान प्रणाली (आईएमपीएस) भारतीय राष्ट्रीय भुगतान खाता रखने की प्रणाली के प्रकार निगम (एनपीसीआई) द्वारा प्रारंभ भारत में एक इलेक्ट्रानिक निधि अंतरण प्रणाली है. यह मोबाइल, इंटरनेट और एटीएम के माध्यम से तत्काल, 24X7, इंटरबैंक इलेक्ट्रानिक निधि अंतरण सेवा है.

- जी हां, एक ही खाते के लिये आप कई वर्चुअल आईडी बना सकते हैं.

- यदि आप वर्चुअल आईडी का प्रयोग कर एक विनिर्दिष्ट राशि सीमा और विनिर्दिष्ट अवधि में धन मंगाना चाहते हैं तो आप उसका चयन कर सकते हैं.

खाता रखने की प्रणाली के प्रकार

प्रश्न 3 गैर-व्यापारिक संस्थाओं द्वारा हिसाब-किताब रखने के उद्देश्य बताइए।

उत्तर- गैर- व्यापारिक तथा पेशेवर संगठनों द्वारा हिसाब-किताब रखने के मुख्य उद्देश्य निम्न प्रकार हैं-

1. दानदाताओं को आय-व्यय का ब्यौरा प्रस्तुत करना- गैर-व्यापारिक संस्थाओं को जिन विभिन्न व्यक्तियों, सरकार या संस्थाओं से अनुदान, शुल्क, चन्दे आदि के रूप में जो धन राशि प्राप्त होती है। वे यह जानना चाहते हैं कि उनके द्वारा प्रदत्त राशि उपयोग वांछित उद्देश्यों की पूर्ति के लिये हो रहा है या नहीं। अत: गैर-व्यापारी संस्थाओं को अपना हिसाब-किताब रखने की आवश्यकता रहती है।

2. आय के अनुसार व्यय को संतुलित करना- गैर-व्यापारिक संस्था को अपनी आय के अनुसार ही व्यय संतुलित करने होते हैं। इसलिये आय-व्यय का हिसाब रखना आवश्यक है।

3. शुद्ध आय ज्ञात करना- निर्धारित अवधि में शुद्ध आय कितनी हुई है, यह जानने के लिए गैर-व्यापारिक संस्थाएँ अपने हिसाब-किताब तैयार करती हैं।

4. आयकर का निर्धारण- आयकर के निर्धारण के लिये भी गैर-व्यापारिक संस्थाएँ अपने प्राप्ति-भुगतान तथा आय-व्यय खाते तैयार करती हैं।

5. आर्थिक स्थिति ज्ञात करना- वर्ष के अन्त में अपनी वास्तविक आर्थिक स्थिति की जानकारी प्राप्त करने के लिये भी गैर-व्यापारिक संस्थाएँ अपने हिसाब-किताब तैयार करती हैं।

6. सम्पत्तियों की जानकारी प्राप्त करना- लेखांकन वर्ष में कितनी सम्पत्तियाँ खरीदी गई तथा वर्ष के अन्त में कितनी सम्पत्तियाँ विद्यमान हैं, इस बात का पता लगाने के लिए भी गैरव्यापारिक संस्थाएँ अपने हिसाब-किताब तैयार करती हैं।

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बही-खाता :अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएँ (Book-keeping)

बही-खाता – वर्तमान समय में वाणिज्य एवं व्यवसाय के स्वरूप में बड़ी तेजी से परिवर्तन हो रहे हैं, आज व्यापार एवं वाणिज्य देश की सीमायें लांघकर सात समुन्दर पार करके के अन्तर्राष्टीय स्वरूप धारण कर चुका है।

किसी भी देश की प्रगति का आधार भी व्यापार और वाणिज्य ही है। इसलिए कहा भी गया है कि “आधुनिक युग वाणिज्य का युग है”। विज्ञान की प्रगति के बावजूद भी वाणिज्य ही मुख्य रूप से अन्तराष्टीय सम्बन्धों का आधार बना हुआ है।

प्रत्येक व्यापारी का उद्देश्य लाभ कमाना होता है। वर्ष के अन्त में वह यह जानना चाहता है कि उसने कितना लाभ कमाया है? क्या खोया है? कुल कितने का माल खरीदा है? कुल कितने का माल बेचा है? किससे कितना धन लेना है? किसको कितना धन देना है? उसकी पूँजी कितनी है? उसकी पूँजी में वृद्धि हो रही है या कमी, उसकी सम्पत्तियां कितनी है? उसके दायित्व कितने हैं? उसे कितना कर भरना है? उसके क्या उन्नति की? इन सभी बातों की जानकारी करने के लिए बहीखाता करना आवश्यक है।

इस सन्दर्भ में अत्यन्त पुरानी कहावत प्रचलित है कि, “पहले लिख और पीछे दे भूल परे तो कागज से ले“ यह कहावत बहीखाता रखने की आवश्यकता और उसके महत्व पर प्रकाश डालती है।

पुस्तपालन या बही-खाता अर्थ एवं परिभाषा

(Meaning and definition of Book-keeping)

बही-खाता अंग्रेजी शब्द ; book-keeping का हिन्दी रूपान्तर है जो दो शब्दों ; book + keeping से मिलकर बना है, यदि इनका शाब्दिक अर्थ देखा जाय तो ;book से आशय किताब और ;keeping का आशय रखने से है । दोनों को मिलाकर देखा जाय तो बहीखाते से आशय किताबें रखना है, किन्तु व्यवहार में केवल किताबें रखने से काम नहीं चलता, उनमें व्यवहारों का लेखा करना आवश्यक है।

अतः बही-खातें का अर्थ व्यापार में होने वाले मौद्रिक व्यवहारों को नियमानुसार और सुव्यवस्थित ढ़़ग से हिसाब की पुस्तकों में लिखना है ताकि उन उद्देश्यों की प्राप्ति हो सके जिनके लिए लेखे किये जा रहे हैं ।

बही-खाते को विभिन्न विद्धानो ने अलग-अलग ढ़ग से परिभाषित किया है इनमें से कुछ विद्धानों के विचार इस प्रकार हैं:

  • श्री जे. आर. बाॅटलीवाय के अनुसार ’’ पुस्तपालन व्यापारिक व्यवहारों को लेखा पुस्तकों में लिखने की कला है।’’
  • रोलैण्ड के अनुसार ’’ पुस्तपालन सौदों को कुछ निश्चित सिद्धान्तों के आधार पर लिखना है।’’
  • श्री आर. एन. कार्टर के अनुसार ’’ बहीखाता उन समस्त व्यापारिक व्यवहारों को जिनमें मुद्रा के मूल्य का हस्तान्तरण होता है ,लेखा पुस्तकों में सही प्रकार से लिखने की कला व विज्ञान है।’’
  • श्री डावर के अनुसार ’’ एक व्यापारी की बही खाते की पुस्तकों में क्रय विक्रय के व्यवहारों को वर्गीकृत रूप में लिखने की कला का नाम बहीखाता है।’’

आदर्श परिभाषा- ” बही-खाता वह कला एवं विज्ञान है, जिसके द्वारा समस्त व्यापारिक मौद्रिक व्यवहारों का लेखा हिसाब की पुस्तकों में विधिवत एवं नियमानुसार किया जाता है, ताकि उन उद्देश्यों पूर्ति हो सके जिसके लिए लेखे किये गये हैं’’

बहीखाता की विशेषताएँ (Features of Book-Keeping):-

1. बही-खाता एक कला एवं विज्ञान है।

2. बही-खाते के द्वारा मौद्रिक व्यापारिक व्यवहारों को हिसाब की पुस्तकों में लिखा जाता है।

3. बही-खाते के अन्तर्गत सौदों के अभिलेखन और वर्गीकरण का कार्य किया जाता है।

4. बही-खाते के लिए विशिष्ट ज्ञान और योग्यता की आवश्यकता नहीं होती है।

5. इसके अन्तर्गत मौद्रिक व्यापारिक व्यवहारों के कुछ निश्चित सिद्धान्तों के आधार पर लिखा जाता है।

6. बही-खाता में व्यवहारों का लेखा करने के लिए निश्चित पुस्तकैं काम में लायी जाती हैं।

राज्य सरकार नोडल कार्यालयों के कार्य

नोडल कार्यालय का अर्थ है वो कार्यालय जो अभिदाताओं एवं केंद्रीय अभिलेखापाल अभिकरण के बीच अंतरफलक के रूप में कार्य करते हैं और उनमें राज्य सरकार के अधीन कोषागार एवं लेखा निदेशालय (डीटीए), जिला कोष कार्यालय (डीटीओ) और आहरण व संवितरण कार्यालय (डीडीओ) शामिल हैं।

केंद्रीय कार्यालयों का राज्य सरकार पदानुक्रम

SG Hierachy

1- आहरण एवं संवितरण अधिकारीः जिला कोष कार्यालय (डीटीओ) या राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के प्रयोजन के लिए अभिदाताओं की ओर से केंद्रीय अभिलेखापाल अभिकरण;

आहरण एवं संवितरण कार्यालय के कार्यः

आहरण एवं संवितरण कार्यालय सभी पंजीकरण फार्म को इकट्ठा करता है और इसे पंजीकरण के लिए केंद्रीय अभिलेखापाल अभिकरण को प्रेषित करता है। इसके अलावा, यह अभिदाताओं से प्राप्त परिवर्तन अनुरोध फार्म भेजेगा और इसे राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली योगदान लेखा नेटवर्क (एनपीएससीएएन) प्रणाली में अद्यतन के लिए जिला कोष कार्यालय को अग्रेषित करेगा। हालांकि, आहरण एवं संवितरण कार्यालय के कई अन्य कार्य हैं जिनका उल्लेख नीचे किया गया हैः

  • अभिदाताओं से स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्यांक(पीआरएएन) खाता रखने की प्रणाली के प्रकार के आवंटन के लिए विधिवत भरे हुए आवेदन प्राप्त करना, इसे भरना और रोजगार विवरण को प्रमाणित करना|
  • स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्यांक (पीआरएएन) के आवंटन के लिए आवेदन पत्रों को समेकित करना और इसे जिला कोष कार्यालय करने को प्रेषित करना।
  • अभिदाताओं में स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्यांक (पीआरएएन) किट, आई-पिन, टी-पिन का वितरण करना।
  • परिवर्तन अनुरोध, नई योजना वरीयता अनुरोध, अभिदाता विवरण में परिवर्तन के अनुरोध, अभिदाताओं से प्राप्त आहरण अनुरोध को जिला कोष कार्यालय को आगे भेजना।
  • सदस्य पेंशन अंशदान के बारे में जिला कोष कार्यालय को जानकारी प्रदान करना|
  • अभिदाता की शिकायत को जिला कोष कार्यालय को अग्रेषित करना।

आहरण एवं संवितरण कार्यालय अभिदाता को विभिन्न सेवाएं प्रदान करना शुरू करने से पहले स्वयं को सीआरए के साथ पंजीकृत करेगा। सीआरए सिस्टम में स्वयं को पंजीकृत करने के लिए, आहरण एवं संवितरण कार्यालय संबंधित जिला कोष कार्यालय में पंजीकरण के लिए आवेदन पत्र भेजेगा।

2.जिला कोष कार्यालय (डीटीओ) - राज्य सरकार के अधीन जिला कोष कार्यालय राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत रक्षित अभिदाताओं के लिए अंशदान विवरण को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार है।

जिला कोष कार्यालय के कार्य

जिला कोष कार्यालय निम्नलिखित गतिविधियों को करने के लिए जिम्मेदार होगाः

  • आहरण एवं संवितरण कार्यालय पंजीकरण फार्म को समेकित करना और पंजीकरण के लिए केंद्रीय अभिलेखापाल अभिकरण को अग्रेषित करना।
  • संबंधित आहरण एवं संवितरण कार्यालय से प्राप्त स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्यांक (पीआरएएन) के आवंटन के लिए आवेदन को समेकित करके अभिदाता के पंजीकरण की सुविधा प्रदान करना और इसे केंद्रीय अभिलेखापाल अभिकरण – सुविधा केंद्र को प्रेषित करना।
  • राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली योगदान लेखा नेटवर्क (एनपीएससीएएन) प्रणाली में अभिदाता योगदान फाइल (एससीएफ) को अपलोड करना। अभिदाता योगदान फाइल में स्थायी सेवानिवृत्ति खाता संख्यांक (पीआरएएन), वेतन भुगतान का महिना एवं वर्ष, अभिदाता अंशदान राशि और सरकारी अंशदान राशि आदि, अभिदाता के अनुसार पेंशन अंशदान विवरण शामिल होगा।
  • अभिदाता योगदान फाइल द्वारा राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली योगदान लेखा नेटवर्क (एनपीएससीएएन) में अपलोड किए अनुसार न्यासी बैंक में अंशदान राशि जमा करना। यह अंशदान राशि सभी सदस्य की योजना प्राथमिकता जिसके लिए एससीएफ अपलोड किया गया है, के आधार पर पीएफएम की विभिन्न योजनाओं में निवेश करेगा
  • राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली योगदान लेखांकन नेटवर्क के माध्यम से अपडेट करना। अभिदाताओं से परिवर्तन अनुरोध, नई योजना वरीयता अनुरोध, निकासी अनुरोध, अभिदाता विवरण में बदलाव करने का अनुरोध प्राप्त करना।
  • डीडीओ और अभिदाता की ओर से शिकायत को उठाना।
  • केंद्रीय अभिलेखापाल अभिकरण प्रणाली में किसी भी संस्थान द्वारा इसके खिलाफ की गई शिकायत को हल करना।

हालांकि, उपर्युक्त कार्यों को करने से पहले, जिला कोष कार्यालय को केंद्रीय अभिलेखापाल अभिकरण के साथ स्वयं को पंजीकृत करना होगा। सीआरए प्रणाली में स्वयं को पंजीकृत करने के लिए, जिला कोष कार्यालय संबंधित डीटीए में पंजीकरण के लिए आवेदन पत्र भेजेगा।

3.कोषागार और लेखा निदेशालय (डीटीए) - कोषागार और लेखा निदेशालय के राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में कई कार्य हैं। हालांकि, उनमें से ज्यादातर अपने अधिकार क्षेत्र के अधीन आने वाले केंद्रीय कार्यालयों के प्रदर्शन की निगरानी करना है। सीआरए पर्यवेक्षी संस्था की भूमिका निभाने की सुविधा देने के लिए कोषागार और लेखा निदेशालय के लिए विभिन्न चेतावनी भेजता है।

कोषागार और लेखा निदेशालय के कार्यः

कोषागार और लेखा निदेशालय निम्नलिखित गतिविधियों को करने के लिए जिम्मेदार होगाः

  • जिला कोष कार्यालय पंजीकरण फार्म को समेकित करना और इसे आगे पंजीकरण के लिए भेजना।
  • केंद्रीय अभिलेखापाल अभिकरण प्रणाली में अपनी जिम्मेदारियों के निर्वहन में जिला कोष कार्यालय और आहरण एवं संवितरण कार्यालय के प्रदर्शन पर नज़र रखना।
  • जिला कोष कार्यालय के खिलाफ की गई शिकायतों के समाधान की निगरानी करना।
  • केंद्रीय अभिलेखापाल अभिकरण प्रणाली की संचालन प्रक्रियाओं के साथ जिला कोष कार्यालय और आहरण एवं संवितरण कार्यालय के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करना।

जिला कोष कार्यालय, नोडल कार्यालय की अपनी क्षमता में स्वयं को केंद्रीय अभिलेखापाल अभिकरण के साथ पंजीकृत करता है। इसके अलावा, निधि और लेखा निदेशालय इससे संलग्न जिला कोष कार्यालय के पंजीकरण आवेदन पत्रों को केंद्रीय अभिलेखापाल अभिकरण को भेजता है। केन्द्रीय सरकार के नोडल कार्यालयों की जानकारी के लिए।

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