एक अच्छी तरह से विविध पोर्टफोलियो में कम से कम 25 से 30 स्टॉक शामिल होने चाहिए, लेकिन यह एक छोटे निवेशक के लिए बहुत बड़ी मांग होगी। म्यूचुअल फंड के साथ छोटे फंड वाले निवेशकों को भी डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो मिल सकता है। किसी फंड की इकाइयाँ खरीदने से आप बिना किसी बड़े कोष का निवेश किए कई शेयरों में निवेश कर सकते हैं।
म्यूचुअल फंड बनाम स्टॉक
म्यूचुअल फंड्स या सीधे शेयर बाजार - जहां निवेश करना है, यह निजी तौर पर सबसे पुरानी बहसों में से एक हैधन प्रबंधन. म्यूचुअल फंड आपको एक फंड में एक निश्चित राशि का निवेश करने की अनुमति देते हैं, जहां फंड मैनेजर अपनी विशेषज्ञता का उपयोग ग्राहक के पैसे को विभिन्न शेयरों में निवेश करने के लिए करते हैं ताकि रिटर्न की उच्चतम दर प्राप्त हो सके।निवेश शेयर बाजारों में आपको उपयोगकर्ता द्वारा किए गए शेयरों पर निवेश पर अधिक नियंत्रण देता है। हालांकि, यह उन्हें जोखिमों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाता है क्योंकि उन्हें सीधे बाजारों से निपटना पड़ता है।
जोखिम पर तुलना करने परफ़ैक्टर, स्टॉक म्यूचुअल फंड की तुलना में कहीं अधिक जोखिम भरा होता है। म्यूचुअल फंड में जोखिम फैला हुआ है और इसलिए विविध शेयरों में पूलिंग के साथ कम हो गया है। स्टॉक के साथ, निवेश करने से पहले व्यापक शोध करना पड़ता है, खासकर यदि आप नौसिखिए हैंइन्वेस्टर. मुलाकातफिनकैश निवेश के विभिन्न क्षेत्रों के बारे में अधिक जानकारी के लिए। म्युचुअल फंड के मामले में शोध किया जाता है और फंड का प्रबंधन एक म्यूचुअल फंड मैनेजर करता है।
शुरुआत के रूप में निवेश करते समय
यदि आप एक नए निवेशक हैं, जिसके पास वित्तीय बाजारों में बहुत कम या कोई अनुभव नहीं है, तो म्यूचुअल फंड से शुरुआत करना उचित है क्योंकि न केवल जोखिम तुलनात्मक रूप से कम होता है, बल्कि इसलिए भी कि निर्णय एक विशेषज्ञ द्वारा किए जाते हैं। इन पेशेवरों के पास संभावित निवेश के दृष्टिकोण को मापने के लिए वित्तीय डेटा का विश्लेषण और व्याख्या करने की अंतर्दृष्टि है।
यद्यपि आपको व्यक्तिगत रूप से खरीदे गए शेयरों के मामले में म्यूचुअल फंड प्रबंधकों को शुल्क देना पड़ता है, लेकिनपैमाने की अर्थव्यवस्थाएं भी चलन में आ जाते हैं। यह सच है किसक्रिय प्रबंधन धन का मामला एक ऐसा मामला है जो मुफ्त में नहीं आता है। म्यूच्यूअल फंड्स बनाम शेयर्स लेकिन सच्चाई यह है कि अपने बड़े आकार के कारण, म्यूचुअल फंड ब्रोकरेज शुल्क का म्यूच्यूअल फंड्स बनाम शेयर्स केवल एक छोटा सा अंश चुकाते हैं जो एक व्यक्तिशेयरहोल्डर ब्रोकरेज के लिए भुगतान करता है। व्यक्तिगत निवेशकों को भी DEMAT के लिए शुल्क का भुगतान करना पड़ता है जो कि म्यूचुअल फंड के मामले में आवश्यक नहीं है।
जोखिम और वापसी
यह पहले से ही स्थापित है कि म्यूचुअल फंड को पोर्टफोलियो में विविधता लाकर जोखिम को कम करने का फायदा होता है।
दूसरी ओर स्टॉक इसकी चपेट में हैंमंडी स्थिति और एक स्टॉक का प्रदर्शन दूसरे के लिए क्षतिपूर्ति नहीं कर सकता।
म्यूच्यूअल फंड्स बनाम शेयर्स: फर्क क्या है?
आप अपनी सब्जियां कहाँ से लाते हैं? क्या अपने घर के आँगन में उगाते हैं या अपने ज़रुरत मुताबिक मंडी या सुपरमार्केट से लाते हैं? ताज़ा और पौष्टिक सब्जियों के लिए अपने आँगन में उन्हें उगाने से अच्छा और क्या हो सकता है लेकिन बीज, खाद, पानी देना, कीटनाशक का छिड़काव, आदि कार्यों में प्रयास और वक़्त दोनों आपको ही देना पड़ता है| दूसरा विकल्प ये कि आप बगैर किसी मेहनत के, मंडी या दुकान से विविध प्रकार की सब्जियों में से चुनाव कर ज़रुरत मुताबिक सब्जियां खरीद लेते है|
इसी प्रकार, संपत्ति का सृजन आप सीधे शेयर बाज़ार में उम्दा कंपनियों में निवेश द्वारा या म्यूच्यूअल फंड्स के माध्यम से निवेश द्वारा कर सकते हैं| हमारे द्वारा खरीदी गयी कंपनियों के स्टॉक राशि से कंपनियां अपना कारोबार विस्तृत करती हैं और निवेशकों के लिए उनके निवेश की मूल्य वृद्धि होती है|
Investment Tips: म्यूचुअल फंड या शेयर मार्केट में से कहां निवेश करना है ज्यादा फायदेमंद! यहां जानें
Mutual Funds vs Share Market: आजकल के समय में हर व्यक्ति शेयर मार्केट में निवेश करना चाहता है. शेयर मार्केट में निवेश करने का दो तरीका है. पहला कि निवेशक अपना एक डीमैट अकाउंट खोलें और इसके जरिए बाजार में निवेश करें. दूसरे तरीके में आपको म्यूचुअल फंड में एसआईपी की मदद से लंबे वक्त में मोटा रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं.
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Mutual Funds vs Shares: आपके लिए क्या है निवेश का बेहतर तरीका? जानिए पूरी डिटेल
Mutual Funds vs Shares: अगर आप शेयर बाजार में पैसा लगाना चाहते हैं तो सीधा स्टॉक खरीद सकते हैं जिसके लिए डीमैट अकाउंट जरूरी है. इसके अलावा म्यूचुअल फंड की मदद से भी बाजार में पैसा निवेश किया जा सकता है. दोनों में कौन बेहतर है, यह आपके लक्ष्य और रिस्क लेने की क्षमता पर निर्भर करता है.
Mutual Funds vs Shares: शेयर बाजार में निवेश का दो प्रमुख तरीका है. पहला तरीका है कि आप सीधा डीमैट अकाउंट से शेयर खरीदें और लंबी अवधि के निवेशक बनें. दूसरा तरीका है कि आप म्यूचुअल फंड की मदद से बाजार में SIP करें और लंबी अवधि में आपको मोटा रिटर्न मिलेगा. निवेश का दोनों तरीका बेहद पॉप्युलर है. आपके लिए इसमें कौन तरीका ज्यादा सुटेबल है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आफकी बाजार को लेकर समझ कितनी है. अगर समझदारी से निवेश का फैसला नहीं किया तो आपका पैसा डूब भी सकता है.
कब करें सीधा शेयर बाजार में निवेश?
अगर आप शेयर बाजार में दिलचस्पी रखते हैं और बाजार के उठापटक को समझते हैं तो सीधा स्टॉक में निवेश किया जा सकता है. स्टॉक में निवेश के लिए आपके पास डीमैट अकाउंट होना जरूरी है. डीमैट अकाउंट की मदद से स्टॉक म्यूच्यूअल फंड्स बनाम शेयर्स खरीद और बेच सकते हैं. आपको कहां निवेश करना, किस सेक्टर में निवेश करना है और किस कंपनी का स्टॉक खरीदना है, यह आपका निजी फैसला होगा. हालांकि, बाजार के जानकारों की राय लेना जरूरी होता है. आप सीधा स्टॉक में निवेश करेंगे तो संभव है कि आपक रिटर्न ज्यादा मिले. दूसरी तरफ स्टॉक के गिरने पर नुकसान भी मोटा होगा.
बाजार में निवेश से पहले रिसर्च करना जरूरी होता है. स्टॉक के निवेशक दो तरह के होते हैं. पहला ट्रेडर होते हैं, जिनका यहा पेशा होता है. दूसरा आप धीरे-धीरे स्टॉक में निवेश करें और लंबी अवधि के निवेशक बनें. इस बात को ध्यान में रखना जरूरी है कि स्टॉक के प्रदर्शन से आपके पोर्टफोलिय पर डायरेक्ट असर होता है, ऐसे में यह आपके लिए इमोशनल जर्नी होती है.
किनके लिए है म्यूचुअल फंड?
जो निवेशक शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें इसके बारे में कम जानकारी है या फिर वे रिस्क नहीं लेना चाहते हैं तो म्यूचुअल फंड बेहतर विकल्प है. म्यूचुअल फंड में आपका पैसा फंड मैनेजर निवेश करता है जिसके पास निवेश और बाजार का लंबा अनुभव होता है. म्यूचुअल फंड का एक और फायदा ये है कि आपका पैसे अलग-अलग असेट्स, अलग-अलग सेक्टर और अलग-अलग स्टॉक में निवेश किया जाता है. डायवर्सिफिकेशन के कारण आपका पोर्टफोलियो बैलेंस्ड रहता है.
आपके लिए दोनों में कौन बेहतर विकल्प है? यह एक कठिन प्रश्न है. हालांकि, यह पूरी तरह आपके लक्ष्य और रिस्क पर निर्भर करता है. अगर निवेश की शुरुआत कर रहे हैं तो म्यूचुअल फंड बेहतर विकल्प माना जाता है. म्यूचुअल फंड में भी इक्विटी फंड का रिस्क ज्यादा होता है, जबकि डेट फंड में रिस्क कम होता है. अगर आप नए हैं और कम रिस्क उठाना चाहते हैं तो एक्सचेंज ट्रेडेड फंड भी निवेश का शानदार विकल्प है. दोनों में कई समानताएं भी हैं.
पोर्टफोलियो डायवर्सिफाइड रखें
फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स की सलाह होती है कि पोर्टफोलियो को हमेशा डायवर्सिफाइड रखें. इससे रिस्क कम रहता है. पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइड रखने से रिस्क फैक्टर घटता है. बाजार में किसी तरह की हलचल का आपके इन्वेस्टमेंट पर कम असर होता है. कोई इंडिविजुअल जब किसी खास सेक्टर के खास स्टॉक में निवेश करता है तो उसका रिस्क ज्यादा होगा. वहीं, म्यूचुअल फंड में आपके पैसा अलग-अलग सेक्टर के अलग-अलग स्टॉक्स में निवेश किया जाता है. इस तरह सेक्टर डायवर्सिफिकेशन के साथ-साथ स्टॉक डायवर्सिफिकेशन का भी लाभ मिलता है.
निवेशकों को इस बात को समझना चाहिए कि अगर आप खुद से शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो राइट स्टॉक पिक होने पर आपको मल्टीबैगर रिटर्न मिल सकता है. लेकिन, म्यूचुअल फंड आपको इतने कम समय में मल्टीबैगर रिटर्न नहीं देगा. हालांकि, इस बात को भी ध्यान में रखना चाहिए कि खुद से निवेश करने पर आपका इन्वेस्टमेंट कई गुना घट भी सकता है, म्यूचुअल फंड के साथ ऐसा नहीं होता है. आसान शब्दों में खुद से निवेश करने पर ज्यादा रिटर्न के साथ ज्यादा रिस्क भी जुड़ा है. म्यूचुअल फंड बैलेंस्ड रिटर्न के साथ-साथ बैलेस्ड रिस्क का भी भरोसा देता है.
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