स्टॉक मार्केट में जब आप पैसे लगाते हैं तो ब्रोकरेज, एसटीटी (सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन फीस), एक्सचेंज ट्रांजैक्शन चार्ज, जीएसटी, सेबी चार्ज, स्टांप ड्यूटी जैसे टैक्स व चार्जेज चुकाने होते हैं और इन्हें काटकर ही शुद्ध मुनाफा या नुकसान आपको हासिल होता है. (Image- Pixabay)

डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट के फीस और शुल्क

शेयरों में ट्रेडिंग शुरू करने के लिए डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट होना आवश्यक है. डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट का लाभ उठाने के डिलीवरी ट्रेडिंग शुल्क क्या है? लिए विशिष्ट फीस और शुल्क लागू होते हैं.

बजाज फाइनेंशियल सिक्योरिटीज़ लिमिटेड (बीएफएसएल) के सब्सक्रिप्शन प्लान

बजाज फाइनेंशियल सिक्योरिटीज़ के साथ डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के लिए, आप उपलब्ध तीन सब्सक्रिप्शन पैक्स मेस से चुनकर साइन-अप कर सकते हैं, हर पैक एक अलग ब्रोकरेज दर प्रदान करता है.

बीएफएसएल से जुड़े सभी डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट शुल्कों के विवरण यहां दिए गए हैं:

शुल्क के प्रकार

प्रोफेशनल पैक

बजाज प्रिविलेज क्लब

वार्षिक सब्सक्रिप्शन शुल्क

दूसरे वर्ष से: रु. 431

इक्विटी/डेरिवेटिव ट्रांज़ैक्शन शुल्क (सब्सक्रिप्शन मॉडल के लिए शुल्कों की सूची)

ब्रोकरेज शुल्क के अलावा, आपके शेयर मार्केट ट्रांज़ैक्शन पर कुछ अन्य शुल्क भी लगाए जाते हैं, जो इस प्रकार हैं:

शुल्क के प्रकार

बीएसई - स्क्रिप ग्रुप के अनुसार शुल्क अलग-अलग होते हैं

बीएसई - स्क्रिप ग्रुप के अनुसार शुल्क अलग-अलग होते हैं

क्लियरिंग मेंबर के शुल्क

ब्रोकरेज ट्रांज़ैक्शन और सीएम शुल्क पर 18%

ब्रोकरेज, ट्रांज़ैक्शन और सीएम शुल्क पर 18%

खरीदने और बेचने पर रु. 100 प्रति लाख (0.1%)

सेल साइड पर रु. 25 प्रति लाख (0.025%)

टर्नओवर का 0.00010%

टर्नओवर का 0.00010%

शुल्क के प्रकार

एनएसई - 0.053% (प्रीमियम पर)

बीएसई - शून्य या ट्रेड वैल्यू का 0.05%

बीएसई - शून्य या ट्रेडेड मूल्य का 0.05%

क्लियरिंग मेंबर के शुल्क

एनएसई और बीएसई - 0.00025%

एनएसई और बीएसई - 0.00025%

ब्रोकरेज, ट्रांज़ैक्शन और सीएम शुल्क पर 18%

ब्रोकरेज, ट्रांज़ैक्शन और सीएम शुल्क पर 18%

सेल साइड पर रु. 10 प्रति लाख (0.01%)

₹ 50 प्रति लाख (0.05%) सेल साइड (प्रीमियम पर)

टर्नओवर का 0.00010%

टर्नओवर का 0.00010%


बीएसई ट्रांज़ैक्शन/टर्नओवर शुल्क का विवरण

बीएफएसएल के साथ डीमैट अकाउंट शुल्क और फीस

बजाज फाइनेंशियल सिक्योरिटीज़ लिमिटेड के साथ डीमैट अकाउंट खोलना एक आसान ऑनलाइन प्रोसेस है. अकाउंट खोलने का शुल्क शून्य है, लेकिन डीमैट अकाउंट से जुड़ी विभिन्न सेवाओं का लाभ उठाने से जुड़े शुल्क हैं. ये शुल्क डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (डीपी) के लिए अलग-अलग डिलीवरी ट्रेडिंग शुल्क क्या है? हो सकते हैं. बीएफएसएल का डीमैट शुल्क मामूली हैं और सभी डीमैट शुल्कों की विस्तृत जानकारी नीचे दी गई है:

शुल्क के प्रकार

अकाउंट खोलने का शुल्क

वार्षिक मेंटेनेंस शुल्क

बीएफएसएल के अंदर ऑफ-मार्केट ट्रांसफर*

₹30 या ट्रांज़ैक्शन वैल्यू का 0.02%, जो भी अधिक हो + लागू टैक्स

रु. 35 + लागू टैक्स

फिज़िकल सीएमआर/ डीआईएस

पहला सीएमआर/ डीआईएस अनुरोध मुफ्त है. उसके बाद रु. 50 + रु. 100 कूरियर शुल्क + लागू टैक्स

डीमटीरियलाइज़ेशन अनुरोध शुल्क

रु. 50 प्रति अनुरोध + रु. 50 प्रति सर्टिफिकेट

री-मटीरियलाइज़ेशन अनुरोध शुल्क

रु. 35 प्रति सर्टिफिकेट या 100 शेयर और भाग, जो भी अधिक हो और अकाउंट रिडेम्प्शन स्टेटमेंट के प्रति री-स्टेट के लिए रु. 25

प्रत्येक इंटरनेशनल सिक्योरिटीज़ आइडेंटिफिकेशन नंबर (आईएसआईएन) के लिए, *रु. 30 आपके डीमैट अकाउंट से डेबिट किए जाते हैं. अगर यह बीएफएसएल डीमैट अकाउंट है, तो लागू शुल्क रु. 30 के साथ-साथ टैक्स भी लागू होते हैं. मार्केट सेल ट्रांज़ैक्शन के मामले में, यह उस परिस्थिति में लागू होगा, जब एक्सचेंज किए गए सिक्योरिटीज़ के पे-इन दायित्वों के लिए बीएफएसएल डीमैट अकाउंट का उपयोग करके डिलीवरी की जाती है.

**हर बार लागू किया जाएगा, जब आईएसआईएन आपके डीमैट अकाउंट से डेबिट किया जाता है और अगर प्राप्तकर्ता का डीमैट अकाउंट बीएफएसएल डीमैट अकाउंट नहीं होता. इसमें सीडीएसएल शुल्क शामिल है.

Stock Market Trading: इन तरीकों से बढ़ा सकते हैं स्टॉक मार्केट से कमाई, जानिए कैसे घट जाता है वास्तविक मुनाफा

Stock डिलीवरी ट्रेडिंग शुल्क क्या है? Market Trading: स्टॉक मार्केट में कारोबार करते हैं तो सभी चार्जेज को आसानी से समझें ताकि मुनाफा बढ़ा सकें. मुनाफे के मामले में एनएसई और बीएसई पर ट्रेडिंग में भी फर्क है.

Stock Market Trading: इन तरीकों से बढ़ा सकते हैं स्टॉक मार्केट से कमाई, जानिए कैसे घट जाता है वास्तविक मुनाफा

स्टॉक मार्केट में जब आप पैसे लगाते हैं तो ब्रोकरेज, एसटीटी (सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन फीस), एक्सचेंज ट्रांजैक्शन चार्ज, जीएसटी, सेबी चार्ज, स्टांप ड्यूटी जैसे टैक्स व चार्जेज चुकाने होते हैं और इन्हें काटकर ही शुद्ध मुनाफा या नुकसान आपको हासिल होता है. (Image- Pixabay)

Stock Market Trading: अगर आप स्टॉक मार्केट में कारोबार करते हैं और शेयरों की सक्रिय रूप से खरीद-बिक्री करते हैं तो इससे जुड़े चार्जेज के बारे में पहले से कैलकुलेशन कर लेना चाहिए. यह कैलकुलेशन डिलीवरी ट्रेडिंग शुल्क क्या है? इसलिए जरूरी है क्योंकि इससे मुनाफा बढ़ाने में मदद मिलती है. इक्विटी में जब आप पैसे लगाते हैं तो यह इंट्रा-डे होता है या डिलीवरी या फ्यूचर या ऑप्शंस, इन सभी तरीकों में पैसे लगाने पर मुनाफा अलग-अलग हासिल होता है. स्टॉक मार्केट में जब आप पैसे लगाते हैं तो ब्रोकरेज, एसटीटी (सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन फीस), एक्सचेंज ट्रांजैक्शन चार्ज, जीएसटी, सेबी चार्ज, स्टांप ड्यूटी जैसे टैक्स व चार्जेज चुकाने होते हैं और इन्हें काटकर ही शुद्ध मुनाफा या नुकसान आपको हासिल होता है.

इन चार तरीकों से होती है ट्रेडिंग

  • Intra-Day Equity: जब आप शेयर की खरीद-बिक्री यानी लांग या शॉर्ट पोजिशन सिर्फ एक ही दिन के लिए लेते हैं यानी कि आज ही खरीदकर बेच दिया तो यह इंट्रा-डे के तहत माना जाता है. इसमें इक्विटी की होल्डिंग नहीं मिलती है.
  • Delivery Equity: इंट्रा-डे के विपरीत डिलीवरी ट्रेडिंग में आप जो शेयर खरीदते हैं, उसे डीमैट खाते में रखा जाता है और इसकी होल्डिंग कुछ समय के लिए मिलती है. इंट्रा-डे में चाहे घाटा हो या फायदा, पोजिशन को स्क्वॉयर ऑफ करना जरूरी होता है, जबकि डिलीवरी इक्विटी ट्रेडिंग में अपने हिसाब से जब चाहें किसी भी कारोबारी समय पर शेयरों की बिक्री कर सकते हैं.
  • Future: यह खरीदार और विक्रेता के बीच एक वायदा है जिसके तहत एक खास दिन निश्चित प्राइस पर स्टॉक्स का लेन-देन होता है. सौदा हो जाने के बाद दोनों ही पार्टियों को इस सौदे को पूरा करना अनिवार्य है और कोई भी पक्ष मुकर नहीं सकता है.
  • Options: ऑप्शंस के तहत किसी खास दिन निश्चित प्राइस पर लेन-देन के लिए एक सौदा होता है जिसमें कुछ प्रीमियम चुकाना होता है. ऑप्शंस के तहत कॉल और पुट दो विकल्प मिलते हैं. कॉल ऑप्शंस के तहत खरीदार को खरीदने का अधिकार मिलता है और पुट ऑप्शंस के तहत बेचने का.

Stock Market: बाजार खुलते ही निवेशकों के डूबे 3.5 लाख करोड़, सेंसेक्‍स 500 अंक टूटा, ये हैं टॉप लूजर्स

मुनाफे पर ऐसे पड़ता है असर

ऊपर चार तरीकों के बारे में जानकारी दी गई जिससे आप शेयर मार्केट के जरिए पैसे कमाते हैं. अब नीचे देखते हैं कि आपको सभी तरीके से कितना मुनाफा हो रहा है-

  • मान लेते हैं कि आप किसी कंपनी के 1 हजार रुपये के 400 शेयरों को खरीदकर इंट्रा-डे में ही 1100 रुपये में बेच देते हैं तो कुल टर्नओवर 8.40 लाख रुपये का हुआ. इस पर ब्रोकरेज, एसटीटी, एक्सचेंज ट्रांजैक्शन फीस, जीएसटी, सेबी शुल्क और स्टांप ड्यूटी मिलाकर करीब 202.24 रुपये टैक्स व चार्जेज के रूप में चुकाने होंगे. इस ट्रेडिंग में आपको 39795.76 रुपये का मुनाफा होगा.
  • अगर आप 1 हजार रुपये के 400 शेयरों को खरीदकर डिलीवरी लेते हैं यानी कि उनकी बिक्री किसी और दिन 1100 रुपये के भाव पर करते हैं तो कुल टर्नओवर 8.40 लाख रुपये का हुआ लेकिन टैक्सेज व चार्जेज के रूप में 935.04 रुपये चुकाने होंगे. इसमें 39064.96 रुपये का मुनाफा हुआ जो इंट्रा-डे ट्रेडिंग से कम है. हालांकि इंट्रा-डे में बहुत रिस्क है क्योंकि इसमें मुनाफा हो या नुकसान, पोजिशन को स्क्वॉयर ऑफ करना ही होगा.
  • फ्यूचर के मामले में अगर आपने 400 शेयरों को 1000 रुपये में खरीदकर 1100 रुपये में बेचा है तो 8.4 लाख रुपये के टर्नओवर वाले इस ट्रांजैक्शन में 119.86 रुपये का टैक्स व चार्जेज चुकाने होंगे. इसमें 39880.14 रुपये का मुनाफा होगा.
  • अगर ऑप्शंस के तहत 1 हजार रुपये के 400 शेयरों के लिए सौदा किया है जिसकी बिक्री 1100 रुपये के भाव पर होती है तो 8.4 लाख रुपये के टर्नओवर के इस सौदे में 805.38 रुपये टैक्स व चार्जेज के रूप में चुकाने होंगे. इसमें 39194.62 रुपये का मुनाफा होगा.
    (यह कैलकुलेशन ब्रोकरेज फर्म Zerodha के कैलकुलेटर से किया गया है और इसमें एनएसई- नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेडिंग का कैलकुलेशन है. सभी फर्मों के लिए ब्रोकरेज जैसे चार्जेज भिन्न होते हैं.)

F&O ट्रेडिंग में BSE पर NSE की तुलना में अधिक मुनाफा

Zerodha कैलकुलेटर के मुताबिक अगर आप एनएसई की बजाय बीएसई पर फ्यूचर एंड ऑप्शंस डिलीवरी ट्रेडिंग शुल्क क्या है? ट्रेडिंग करते हैं तो मुनाफा बढ़ सकता है. बीएसई पर F&O के लिए कोई एक्सचेंज ट्रांजैक्शन फीस नहीं लगता है और इससे जीएसटी भी कम हो जाता है. ध्यान रहे कि इंट्रा-डे इक्विटी और डिलीवरी इक्विटी में बीएसई पर एक्सचेंज ट्रांजैक्शन फीस एनएसई के बराबर ही चुकानी होती है.

Stock Market Trading: इन तरीकों से बढ़ा सकते हैं स्टॉक मार्केट से कमाई, जानिए कैसे घट जाता है वास्तविक मुनाफा

Stock Market Trading: स्टॉक मार्केट में कारोबार करते हैं तो सभी चार्जेज को आसानी से समझें ताकि मुनाफा बढ़ा सकें. मुनाफे के मामले में एनएसई और बीएसई पर ट्रेडिंग में भी फर्क है.

Stock Market Trading: इन तरीकों से बढ़ा सकते हैं स्टॉक मार्केट से कमाई, जानिए कैसे घट जाता है वास्तविक मुनाफा

स्टॉक मार्केट में जब आप पैसे लगाते हैं तो ब्रोकरेज, एसटीटी (सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन फीस), एक्सचेंज ट्रांजैक्शन चार्ज, जीएसटी, सेबी चार्ज, स्टांप ड्यूटी जैसे टैक्स व चार्जेज चुकाने होते हैं और इन्हें काटकर ही शुद्ध मुनाफा या नुकसान आपको हासिल होता है. (Image- Pixabay)

Stock Market Trading: अगर आप स्टॉक मार्केट में कारोबार करते हैं और शेयरों की सक्रिय रूप से खरीद-बिक्री करते हैं तो इससे जुड़े चार्जेज के बारे में पहले से कैलकुलेशन कर लेना चाहिए. यह कैलकुलेशन इसलिए जरूरी है क्योंकि इससे मुनाफा बढ़ाने में मदद मिलती है. इक्विटी में जब आप पैसे लगाते हैं तो यह इंट्रा-डे होता है या डिलीवरी या फ्यूचर या ऑप्शंस, इन सभी तरीकों में पैसे लगाने पर मुनाफा अलग-अलग हासिल होता है. स्टॉक मार्केट में जब आप पैसे लगाते हैं तो ब्रोकरेज, एसटीटी (सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन फीस), एक्सचेंज ट्रांजैक्शन चार्ज, जीएसटी, सेबी चार्ज, स्टांप ड्यूटी जैसे टैक्स व चार्जेज चुकाने होते हैं और इन्हें काटकर ही शुद्ध मुनाफा या नुकसान आपको हासिल होता है.

इन चार तरीकों से होती है ट्रेडिंग

  • Intra-Day Equity: जब आप शेयर की खरीद-बिक्री यानी लांग या शॉर्ट पोजिशन सिर्फ एक ही दिन के लिए लेते हैं यानी कि आज ही खरीदकर बेच दिया तो यह इंट्रा-डे के तहत माना जाता है. इसमें इक्विटी की होल्डिंग नहीं मिलती है.
  • Delivery Equity: इंट्रा-डे के विपरीत डिलीवरी ट्रेडिंग में आप जो शेयर खरीदते हैं, उसे डीमैट खाते में रखा जाता है और इसकी होल्डिंग कुछ समय के लिए मिलती है. इंट्रा-डे में चाहे घाटा हो या फायदा, पोजिशन को स्क्वॉयर ऑफ करना जरूरी होता है, जबकि डिलीवरी इक्विटी ट्रेडिंग में अपने हिसाब से जब चाहें किसी भी डिलीवरी ट्रेडिंग शुल्क क्या है? कारोबारी समय पर शेयरों की बिक्री कर सकते हैं.
  • Future: यह खरीदार और विक्रेता के बीच एक वायदा है जिसके तहत एक खास दिन निश्चित प्राइस पर स्टॉक्स का लेन-देन होता है. सौदा हो जाने के बाद दोनों ही पार्टियों को इस सौदे को पूरा करना अनिवार्य है और कोई भी पक्ष मुकर नहीं सकता है.
  • Options: ऑप्शंस के तहत किसी खास दिन निश्चित प्राइस पर लेन-देन के लिए एक सौदा होता है जिसमें कुछ प्रीमियम चुकाना होता है. ऑप्शंस के तहत कॉल और पुट दो विकल्प मिलते हैं. कॉल ऑप्शंस के तहत खरीदार को खरीदने का अधिकार मिलता है और पुट ऑप्शंस के तहत बेचने का.

Stock Market: बाजार खुलते ही निवेशकों के डूबे 3.5 लाख करोड़, सेंसेक्‍स 500 अंक टूटा, ये हैं टॉप लूजर्स

मुनाफे पर ऐसे पड़ता है असर

ऊपर चार तरीकों के बारे में जानकारी दी गई जिससे आप शेयर मार्केट के जरिए पैसे कमाते हैं. अब नीचे देखते हैं कि आपको सभी तरीके से कितना मुनाफा हो रहा है-

  • मान लेते हैं कि आप किसी कंपनी के 1 हजार रुपये के 400 शेयरों को खरीदकर इंट्रा-डे में ही 1100 रुपये में बेच देते हैं तो कुल टर्नओवर 8.40 लाख रुपये का हुआ. इस पर ब्रोकरेज, एसटीटी, एक्सचेंज ट्रांजैक्शन फीस, जीएसटी, सेबी शुल्क और स्टांप ड्यूटी मिलाकर करीब 202.24 रुपये टैक्स व चार्जेज के रूप में चुकाने होंगे. इस ट्रेडिंग में आपको 39795.76 रुपये का मुनाफा होगा.
  • अगर आप 1 हजार रुपये के 400 शेयरों को खरीदकर डिलीवरी लेते हैं यानी कि उनकी बिक्री किसी और दिन 1100 रुपये के भाव पर करते हैं तो कुल टर्नओवर 8.40 लाख रुपये का हुआ लेकिन टैक्सेज व चार्जेज के रूप में 935.04 रुपये चुकाने होंगे. इसमें 39064.96 रुपये का मुनाफा हुआ जो इंट्रा-डे ट्रेडिंग से कम है. हालांकि इंट्रा-डे में बहुत रिस्क है क्योंकि इसमें मुनाफा हो या नुकसान, पोजिशन को स्क्वॉयर ऑफ करना ही होगा.
  • फ्यूचर के मामले में अगर आपने 400 शेयरों को 1000 रुपये में खरीदकर 1100 रुपये में बेचा है तो 8.4 लाख रुपये के टर्नओवर वाले इस ट्रांजैक्शन में 119.86 रुपये का टैक्स व चार्जेज चुकाने होंगे. इसमें 39880.14 रुपये का मुनाफा होगा.
  • अगर ऑप्शंस के तहत 1 हजार रुपये के 400 शेयरों के लिए सौदा किया है जिसकी बिक्री 1100 रुपये के भाव पर होती है तो 8.4 लाख रुपये के टर्नओवर के इस सौदे में 805.38 रुपये टैक्स व चार्जेज के रूप में चुकाने होंगे. इसमें 39194.62 रुपये का मुनाफा होगा.
    (यह कैलकुलेशन ब्रोकरेज फर्म Zerodha के कैलकुलेटर से किया गया है और इसमें एनएसई- नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेडिंग का कैलकुलेशन है. सभी फर्मों के लिए ब्रोकरेज जैसे चार्जेज भिन्न होते हैं.)

F&O ट्रेडिंग में BSE पर NSE की तुलना में अधिक मुनाफा

Zerodha कैलकुलेटर के मुताबिक अगर आप एनएसई की बजाय बीएसई पर फ्यूचर एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग करते हैं तो मुनाफा बढ़ सकता है. बीएसई पर F&O के लिए कोई एक्सचेंज ट्रांजैक्शन फीस नहीं लगता है और इससे जीएसटी भी कम हो जाता है. ध्यान रहे कि इंट्रा-डे इक्विटी और डिलीवरी इक्विटी में बीएसई पर एक्सचेंज ट्रांजैक्शन फीस एनएसई के बराबर ही चुकानी होती है.

शून्य ब्रोकरेज शुल्क में भी जोखिम नहीं कम, पहले चेक करें ब्रोकर का ट्रैक रिकॉर्ड

शून्य ब्रोकरेज शुल्क भारत में स्टॉक ब्रोकिंग का एक आकर्षक मॉडल बनकर उभरा है। इसने इक्विटी निवेशकों के लिए लागत में कटौती करके पारंपरिक पूर्ण सेवा मॉडल को चुनौती दी है। इस मॉडल को खासतौर पर कोरोना.

शून्य ब्रोकरेज शुल्क में भी जोखिम नहीं कम, पहले चेक करें ब्रोकर का ट्रैक रिकॉर्ड

शून्य ब्रोकरेज शुल्क भारत में स्टॉक ब्रोकिंग का एक आकर्षक मॉडल बनकर उभरा है। इसने इक्विटी निवेशकों के लिए लागत में कटौती करके पारंपरिक पूर्ण सेवा मॉडल को चुनौती दी है। इस मॉडल को खासतौर पर कोरोना संकट काल के दौरान ग्राहकों ने खासा पसंद किया है। शेयरों में निवेश के लिए कई कंपनियां शून्य ब्रोकरेज की पेशकश करती हैं, लेकिन इसमें जहां ग्राहकों का फायदा है तो जोखिम भी कम नहीं। ऐसे में अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाले ब्रोकर का साथ आपके लिए बेहद जरूरी है।

ऐसे काम करता है शून्य ब्रोकरेज शुल्क मॉडल

शून्य ब्रोकरेज शुल्क, जीरोदा जैसी कंपनियों द्वारा अग्रणी डिस्काउंट ब्रोकिंग मॉडल का हिस्सा है। इस मॉडल में लेन-देन पर शून्य या बिल्कुल कम ब्रोकरेज शुल्क लगाया जाता है। उदाहरण के लिए, जीरोदा डिलीवरी ट्रेडों के लिए कोई शुल्क नहीं लेता है। ये ऐसे ट्रेड हैं जिनमें आप वास्तव में अपने डीमैट खाते में स्टॉक की डिलीवरी लेते हैं या ऐसे स्टॉक बेचते हैं जो आपके डीमैट खाते में हैं। ये ट्रेड आमतौर पर खुदरा निवेशकों द्वारा किए जाते हैं। प्रौद्योगिकी डिस्काउंट ब्रोकिंग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि यह लागत में कमी कर ब्रोकरों को मुफ्त सेवाएं प्रदान करने की अनुमति देता है।

इसलिए पसंदीदा है यह मॉडल

इस मॉडल में शून्य या फिर न्यूनतम शुल्क लगता है, जबकि डिस्काउंट ब्रोकर अन्य प्रकार के ट्रेडों, वायदा और विकल्प (एफ एंड ओ) या इंट्रा-डे के लिए पैसे लेते हैं। इसमें आप उसी दिन स्टॉक खरीदते और बेचते हैं, इसलिए डिलीवरी नहीं लेते। जिस श्रेणी में ब्रोकरेज शुल्क शामिल है, वह एक से दूसरे में अलग-अलग हो सकता है। उदाहरण के लिए, कोटक सिक्योरिटीज लिमिटेड ने गुरुवार को एक जीरो ब्रोकरेज इंट्रा-डे प्लान लॉन्च किया। इसमें अन्य सभी एफ एंड ओ ट्रेडों के लिए 20 रुपये प्रति ऑर्डर शुल्क है।

अन्य शुल्क का करना होता है भुगतान

ब्रोकरेज, स्टॉक ट्रेडिंग में शामिल एकमात्र शुल्क नहीं है। इसके अलावा भी आपको प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी), स्टांप ड्यूटी, स्टॉक एक्सचेंज से लेन-देन शुल्क, दलाली पर जीएसटी और लेनदेन शुल्क, सेबी शुल्क का भुगतान करना होता है। डीमैट खाते से संबंधित शुल्क भी हैं, जैसे कि वार्षिक रखरखाव शुल्क और डीमैट खाते से डेबिट लेनदेन पर शुल्क। हालांकि इनमें से ज्यादातर काफी कम हैं। उदाहरण के लिए डिलिवरी लेनदेन पर एसटीटी 0.1% और एनएसई लेनदेन शुल्क 0.00325% है।

इन बातों का रखें विशेष ध्यान

एक डिस्काउंट ब्रोकर इक्विटी निवेश की लागत में काफी कटौती कर सकता है। हालांकि, सभी डिस्काउंट ब्रोकरों पास स्थायी व्यापार मॉडल नहीं हो सकते हैं। यह भविष्य में जोखिमकारक हो सकता है। इसलिए एक बेहतर और स्थापित ट्रैक रिकॉर्ड वाले ब्रोकर का चयन करना जरूरी है। इक्विटी अनुसंधान और पोर्टफोलियो विश्लेषण के संबंध में, आप सलाह प्राप्त करने के लिए सेबी पंजीकृत निवेश सलाहकार (आरआईए) से संपर्क कर सकते हैं। यह दृष्टिकोण ब्रोकरेज फ़ंक्शन से अनुसंधान फ़ंक्शन को अलग करता है और आपको उच्च गुणवत्ता वाले निष्पक्ष शोध तक पहुंच प्रदान कर सकता है।

पांच लाख के निवेश पर लागत विश्लेषण (रुपये में)
फुल सर्विस मॉडल डिस्काउंट मॉडल

ब्रोकरेज (0.5%) 2500 रुपये 0
ट्रांजेक्शन शुल्क (0.00325%) 16.25 16.25

ब्रोकरेज पर जीएसटी (18%) 452.93 2.93
एसटीटी (0.1%) 500 500

स्टांप ड्यूटी (0.015%) 75 75
सेबी शुल्क (5 रुपये प्रति करोड़) 0.25 0.25

डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है ?

अगर मैं शेयर मार्केट की बात करूं तो शेयर मार्केट एक बाजार की तरह है जहां पर आप पैसे देते हैं और एक सिक्योरिटी खरीदते हैं यह अलग-अलग तरह की हो सकती है जैसे कि इक्विटी शेयर, प्रेफरेंस शेयर, बांड, डिबेंचर आदि।

शेयर मार्केट का मुख्य कार्य निवेशकों को कंपनी के अंदर पैसा लगाने के लिए आमंत्रित करना है जिससे कंपनी उस पैसे का प्रयोग अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए कर सके और उसके पश्चात जो भी लाभ होते हैं उनको अपने अंश धारकों के साथ बांट सके।

डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है ?

मुझे इस बात पर बड़ा आश्चर्य होता है कि शेयर मार्केट के बारे में बाजार में बहुत सारी भ्रांतियां प्रचलित है और अधिकतर लोग शेयर मार्केट को सट्टे की तरह लेते हैं क्योंकि वह शेयरों ट्रेडरों के जाल में फंस जाते हैं और एक ट्रेडर हमेशा आपको ऐसी सलाह देगा जिसके द्वारा ब्रोकर का फायदा हो।

बाज़ार में मौजूद लगभग सभी लोग यही चाहते है के आप ज्यादा से ज्यादा शेयर खरीदे और बेचे क्योंकि इससे ब्रोकर को कमिशन मिलता रहत है चाहे आपको लाभ हो या हानि।

डिलीवरी ट्रेडिंग ही बाजार का वास्तविक रूप है उसके अलावा जो भी है वह सब आप को लूटने का जरिया है और ब्रोकरों को अमीर बनाने का माध्यम है।

जब भी आप कोई अंश खरीदते है और उसकी डिलीवरी लेते है तो आप उस कंपनी के सदस्य बन जाते है और आपका नाम अंशधारकों के रजिस्टर में दर्ज हो जाता है।

इसके बाद आपको कंपनी समय समय पर विभिन्न जानकारियां प्रदान करती है। आपको कंपनी के वित्तीय विवरण मिलते है, कंपनी के मीटिंग के नोटिस मिलते है, लाभांश मिलता है और कंपनी जब भी कोई नया इश्यू लेकर आती है तो आपको उसमें प्राथमिकता मिलती है यहां तक कि कभी कभी कंपनी बाय बैक भी करती है जिसमें आपको बहुत अच्छी कीमत मिलती है। क्योंकि कंपनी के वास्तविक स्वामी उसके अंशधारक ही होते है।

अगर आप किसी कंपनी के बहुत सारे अंश खरीद लेते है तो आप कंपनी के निर्णयों तक को प्रभावित करने की क्षमता हासिल कर लेते है इसलिए हर कंपनी की कोशिश रहती है के वोटिंग पॉवर हमेशा कंपनी के प्रमोटरों के पास ही रहे।

एक बार आपका नाम कम्पनी के अंशधारकों के रजिस्टर में शामिल हो गया तो उसके बाद आपको शेयर मार्केट की ऊपर या नीचे जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता है क्योंकि उस समय आपको वास्तविक हानि नहीं होती है और केवल अंश का बाजार मूल्य में परिवर्तन होता रहता है।

इसका अर्थ है के अगर 1000 रुपए का शेयर आपके डिमेट एकाउंट में रखा गया है और भले ही बाजार में उसकी कीमत 100 रुपए हो जाए तब भी आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि बहुत सारे शेयर कुछ समय बाद रिकवरी कर लेते है और तब आप उस अंश को बेच सकते है और अपना पैसा निकाल सकते है।

इसके उलट अगर आप इंट्रा डे में ट्रेडिंग करते है तो यह बहुत खतरनाक होता है क्योंकि कोई भी शेयर गिरने के बाद 1 दिन में रिकवरी नहीं कर सकता और आपको शेयर में पैसा लगाने के बाद उसमें हुए नुकसान कि भरपाई अपने बैंक एकाउंट को खाली करके करनी पड़ती है।

में इंट्रा डे पर ज्यादा बात नहीं करना चाहता क्योंकि इंट्रा डे बहुत ही खतरनाक और जोखिम भरा है इसलिए आप जितना दूर रह सके उतना बेहतर है और किसी भी टिप के चक्कर में कभी नहीं आइए क्योंकि टिप केवल पेनी स्टॉक को धक्का देने के लिए मार्केट में फैलाई जाती है जिससे कुछ सीमित लोग बहुत सारा पैसा कमा सके।

इंट्राडे और डिलीवरी ट्रेडिंग में क्या अंतर है?

शेयर बाजार में 1 दिन केलिए ट्रेडिंग करते है तो उसको डिलीवरी ट्रेडिंग शुल्क क्या है? इंट्राडे ट्रेडिंग कहते है। इसमें आपको शेयर को एक ही दिन में 9:15 AM से 3:30 PM तक खरीद बिक्री करना होता है। इसमें केबल ट्रेडिंग कर सकते है । मगर आपको लंबी अबधि केलिए निवेश केलिए शेयर की डिजिटल फॉरमेट के जरिए डिलीवरी लेनी होती है। इसमें आपको शेयर को डिजिटल फॉरमेट में खरीद के T +2 दिनों में आपके CDSL / NSDL एकाउंट में शेयर जमा होता है । इंट्राडे ट्रेडिंग में आपको बहोत ज्यादा ब्रोकेज़ ( प्रति आर्डर ₹20/- ) का शुल्क देना होता है। मगर शेयर की डिलीवरी में ब्रोकेज़ बहोत कम लगता है। इंट्राडे ट्रेडिंग में आपको > 30% ज्यादा इनकम टैक्स भरना होता है। मगर डिलीवरी ट्रेडिंग / निवेश में आपको ( 10 % से 15 % ) तक की इनकम टैक्स लगता है। इंट्राडे ट्रेडिंग शेयर बाजार के अनुभवी लोगों करना चाहिए । अगर आप शेयर में नए हो तो आपको डिलीवरी ट्रेडिंग / निवेश करना चाहिए।

डिलीवरी ट्रेडिंग में स्टॉप लॉस कैसे लगाएं?

ट्रेडिंग करने केलिए सबसे अच्छी ट्रेडिंग कंपनी कौन सी है?

बाजार में बहोत सारे ऐप है जो कि ऑप्शन ट्रेडिंग देते है मगर सबमें अलग ब्रोकेज चार्ज और मार्जिन के नियम अलग अलग है । इस लिए आपको बहोत सावधानी से अपना ब्रोकर चुने । में आपको कुछ ब्रोकर की सलाह देसकता है ।

1. जेरोधा सेकुरिट्स
2. ऐंजल ब्रोकिंग
3. मोतीलाल ओसबल सेकुरिट्स
4. IIFL सेकुरिट्स
5. उप स्टॉक

FAQ :-

शेयरों की डिलीवरी कितने दिन में होती है?

आपको शेयर को डिजिटल फॉरमेट में खरीद के T +2 दिनों में आपके CDSL / NSDL एकाउंट में शेयर जमा कर दिया जाता है।

रेटिंग: 4.20
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 722