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क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती घुसपैठ से जूझ रही दुनिया, भारत में जरूरी है इसका नियमन, सही दिशा में सरकार
जयंतीलाल भंडारी। केंद्र सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी नियामक और डिजिटल करेंसी बिल 2021 पेश करने जा रही है। जहां पूरी दुनिया क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती घुसपैठ से जूझ रही है, वहीं भारत के लिए यह अच्छी बात है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस करेंसी के खतरों को समझा और इसके नियमन का मन बनाया। बीते दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा था कि अनियंत्रित क्रिप्टो बाजार को धनशोधन और आतंकी फंडिंग का जरिया नहीं बनने दिया जा सकता। सभी लोकतांत्रिक देशों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि क्रिप्टोकरेंसी गलत हाथों में न जाने दें, अन्यथा युवाओं का भविष्य बर्बाद हो सकता है। इस पर ध्यान देना ही होगा।
क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल मुद्रा है, जो क्रिप्टोग्राफी द्वारा सुरक्षित है। क्रिप्टोकरेंसी सिर्फ डिजिटल रूप में आनलाइन रहती है। यह सिक्के या नोट की तरह ठोस रूप में जेब में नहीं रखी जाती। इस समय क्रिप्टोकरेंसी में बिटकाइन का वर्चस्व है। इथेरियम, टीथर, कार्डानो, पोल्काडाट, रिपल और डोजकाइन सहित सैकड़ों अन्य क्रिप्टोकरेंसी भी मौजूद हैं। यह माना जाता है कि जापान के सातोशी नाकामोतो के द्वारा बिटकाइन को 2008 में लाया गया। इसका प्रचलन 2009 में शुरू हुआ। बिटकाइन दुनिया की सबसे महंगी वचरुअल करेंसी है। बिटकाइन की संख्या दो करोड़ दस लाख तक सीमित है। वैश्विक क्रिप्टोकरेंसी का मार्केट कैप लगभग 225 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। एक बिटकाइन का मूल्य करीब 68,641 डालर है।
क्रिप्टोकरेंसी अत्यंत अस्थिर और खतरनाक उछाल भरने वाली जोखिम भरी परिसंपत्ति है। जहां क्रिप्टोकरेंसी के निर्गमन के पीछे स्वर्ण या बहुमूल्य धातु के कोष नहीं रखे जाते, वहीं इसके पीछे किसी वित्तीय नियामक संस्था की किसी मूल्य की वापसी संबंधी कोई गारंटी भी नहीं होती। ऐसे में क्रिप्टोकरेंसी का निर्गमन करके कई वित्तीय धोखेबाजों द्वारा डिजिटल निवेशकों से ठगी किए जाने की आशंका बनी रहती है। क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल वैश्विक सट्टेबाजी और साइबर अपराधों में भी हो सकता है। इतना ही नहीं क्रिप्टोकरेंसी की कीमत बढ़ना या घटना वित्तीय स्थिरता के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है। इसके बावजूद क्रिप्टोकरेंसी की मौजूदगी नकारी नहीं जा सकती। पिछले 10-12 वर्षो के तमाम वैश्विक वित्तीय संकटों के बीच क्रिप्टोकरेंसी ने अपना अस्तित्व बचाए रखा है। चूंकि क्रिप्टोकरेंसी पर कोई वैश्विक नियमन नहीं है, अत: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इससे भुगतान करना फायदेमंद माना जाता है। हालांकि इसके जोखिम भी कम नहीं हैं।
आभासी मुद्रा में निवेश को लेकर निवेशकों का आकर्षण इसलिए भी बना हुआ है, क्योंकि सरकारी तंत्र से बाहर दुनिया के किसी भी कोने में इन्हें भुनाने का विकल्प मौजूद है। खास बात यह है कि खरीदारी के सभी डिजिटल प्लेटफार्म चौबीसों घंटे खुले रहते हैं। शायद इन्हीं कारणों से अल सल्वाडोर ने बिटकाइन को मान्यता दी है। वह ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश है। इस समय क्रिप्टोकरेंसी को दुनिया के कई देशों में भरोसे के संकट का सामना करना पड़ रहा है। वे इसे पारंपरिक करेंसी के लिए खतरा मानते हैं। यही कारण है कि उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी पर विभिन्न तरह के प्रतिबंध लगाए हैं।
चीन के केंद्रीय बैंक ने क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग की अवैध गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए सभी क्रिप्टो लेनदेन को अवैध घोषित कर दिया है। यद्यपि भारत में भी 2018 में रिजर्व बैंक ने बैंक और अन्य वित्तीय संस्थाओं पर क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े लेनदेन को लेकर रोक लगा दी थी, लेकिन मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को पलट दिया। हालांकि देश में क्रिप्टोकरेंसी को कोई वैधानिक मान्यता नहीं मिली है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद क्रिप्टोकरेंसी का कारोबार बढ़ने लगा। बिटकाइन आदि को डिजिटल गोल्ड की तरह निवेश का एक आकर्षक विकल्प बताया जा रहा है। भारत में करीब 10.07 करोड़ लोगों के पास क्रिप्टोकरेंसी है, जो दुनिया के किसी भी देश से अधिक हैं।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज चलाने वालों पर अभी सरकार या दूसरे वित्तीय नियामकों का कोई नियंत्रण नहीं है। गत दिनों जयंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने विभिन्न हितधारकों के साथ क्रिप्टो वित्त और क्रिप्टोकरेंसी के गुण-दोष पर चर्चा की। माना जाता है कि इस संसदीय समिति के कई सदस्य क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के बजाय इसके बाजार को विनियमित करने के पक्ष में हैं। वास्तव में अब बदली हुई डिजिटल दुनिया में क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाना उचित नहीं होगा। क्रिप्टोकरेंसी को बड़े पैमाने पर स्वीकृति और नए निवेशकों द्वारा प्रवेश करने से इसका महत्व बढ़ा है। कई देश अब खुद अपनी क्रिप्टोकरेंसी लाने पर विचार कर रहे हैं।
ऐसे में देश के भीतर क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार में निवेशकों की बढ़ती रुचि को देखते हुए सरकार द्वारा प्राथमिकता के साथ इन आभासी परिसंपत्तियों के लिए नियामकीय ढांचा तैयार करने पर ध्यान देना चाहिए। इसके साथ ही नीति निर्माताओं द्वारा क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी एक ऐसी व्यापक योजना प्रस्तुत की जानी चाहिए, जिससे एक ओर केंद्रीय बैंक को वित्तीय स्थिरता से जुड़े जोखिम से बचाव मिल सके। दूसरी ओर निवेशकों के हितों का बचाव करने में भी मदद मिल सके। हम यह भी उम्मीद करते हैं कि सरकार द्वारा क्रिप्टोकरेंसी में निवेश से होने वाली कमाई को टैक्स के दायरे में लाने के लिए आयकर कानूनों में उपयुक्त बदलाव भी किया जाएगा। इससे क्रिप्टोकरेंसी को लेकर पारदर्शिता सुनिश्चित होने के साथ ही राजस्व की प्राप्ति भी हो सकेगी।
..तो क्रिप्टोकरेंसी से 'गजवा-ए-हिन्द' को मिल रहा था फंड, मरगूब ने 'बिहार टेरर मॉड्यूल' के उगले राज
मरगूब दानिश उर्फ ताहिर ने फुलवारी शरीफ टेरर मॉड्यूल (Phulwari Sharif Terror Module) मामले में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. देश विरोधी गतिविधियों के लिए उसे कतर के एक संगठन 'अल्फाल्ही' से क्रिप्टो करेंसी के रूप में फंड दिया जा रहा था. कैसे क्रिप्टो करेंसी के जरिए देश में जहर घोलने की साजिश हो रही थी, पढ़ें पूरी रिपोर्ट..
पटना: फुलवारी शरीफ टेरर मॉड्यूल मामले में हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं. इन खुलासों ने जांच एजेंसियों को भी हिलाकर रख दिया है. मरगूब दानिश उर्फ ताहिर ने अबतक कई राज खोले हैं. उसने अब एक राज उगला है, क्रिप्टो करेंसी (Funds from Qatar As Cryptocurrencies) का. इस खुलासे के साथ ही अब भारत में फिर से क्रिप्टो करेंसी को लेकर बहस छिड़ गई है. अब एनआईए मामले की तह तक जाने की कोशिश करेगा.
'कतर से क्रिप्टो करेंसी के रूप में मिल रहा था फंड': पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, "जांच के दौरान एकत्र किए गए सबूतों से पता चला है कि मरगूब दानिश को कतर स्थित संगठन 'अल्फाल्ही' (Qatar Based Organization Alfalhi) से क्रिप्टो करंसी के रूप में धन प्राप्त (Money From Qatar In Cryptocurrency) हुआ था." फिलहाल मामले की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) कर रहा है. अधिकारी ने कहा, "जांच से यह भी पता चला है कि दानिश पाकिस्तान स्थित कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक से जुड़ा था. वह एक पाकिस्तानी नागरिक फैजान के नियमित संपर्क में भी था."
कौन है मरगूब दानिश उर्फ ताहिर: अधिकारी ने बताया कि जांचकर्ताओं ने पाया है कि ग्रुप (गजवा-ए-हिंद) पर राष्ट्रीय ध्वज और प्रतीक का अपमान करने वाले संदेश साझा किए जा रहे थे. उन्होंने कहा कि दानिश ग्रुप का एडमिन था और कई अन्य विदेशी समूहों के संपर्क में भी था. पुलिस ने 14 जुलाई को तीन लोगों को क्रिप्टोकरेंसी का आगमन गिरफ्तार कर इस आतंकवादी मॉड्यूल का पर्दाफाश किया था. मरगूब पाकिस्तान के लोगों के संपर्क में था. लगातार उन्मादी और भड़काऊ भाषण फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया के जरिए पोस्ट करता था. ताहिर द्वारा WhatsApp पर दिनांक 27.02.2022 को गजवा-ए-हिन्द नाम से एक और ग्रुप भी बनाया गया था, जिसमें कुल 10 सदस्य हैं, जिसमें 08 सदस्य बांग्लादेश के 01 पाकिस्तान का एवं 01 ये स्वयं है. इस ग्रुप के आईकॉन के रूप में भी भारत के नक्शे को हरा रंग से रंगकर उसपर पाकिस्तान का झंडा लगाया हुआ दिखलाया गया है. इस तरह से उसकी देश के प्रति नफरत साफ देखने को मिल रही थी.
वित्त मंत्री ने क्रिप्टो करेंसी पर कही थी ये बात : वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने भी क्रिप्टो करेंसी (Cryptocurrency) के दुरुपयोग को लेकर चिंता जाहिर की थी. सीतारमण ने कहा था कि हमारा इरादा किसी भी तरह से इसे (क्रिप्टो से जुड़े नवोन्मेष) प्रभावित करना नहीं है. उन्होंनें कहा कि मनी लांड्रिंग या आतंकवादियों के वित्तपोषण को लेकर क्रिप्टो करेंसी में हेराफेरी भी की जा सकती है. वित्त मंत्री ने कहा कि ये कुछ चिंताएं हैं. ये चिंताएं केवल भारत के ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों की हैं. इस पर विभिन्न मंचों पर चर्चा भी हुई है. साथ ही उन्होंने कहा था कि भारत इस डिजिटल मुद्रा (Digital Currency) के नियमन को लेकर सोच-विचार कर निर्णय करेगा.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ: अर्थशास्त्री विकास विद्यार्थी बताते हैं कि आमतौर पर क्रिप्टो करेंसी एक तरह का डिजिटल पैसा है, क्रिप्टोकरेंसी का आगमन जिसे आप छू तो नहीं सकते, लेकिन रख सकते हैं. यानी यह मुद्रा का एक डिजिटल रूप है. यह किसी सिक्के या नोट की तरह ठोस रूप में आपकी जेब में नहीं होता है. यह पूरी तरह से ऑनलाइन होता है. क्रिप्टो करेंसी या हवाला एक माध्यम होता है. लेकिन इस आतंकवादी घटनाओं के साथ जोड़ना सही नहीं है. हालांकि संदिग्धों से जांच में कई बातें अबतक सामने आ चुकी हैं. वित्त मंत्री ने भी इसको लेकर बयान दिया था. ऐसे में नियमावली बनाने की जरूरत है.
"तीन महीने पहले अगर वित्त मंत्री कहतीं हैं कि क्रिप्टो करेंसी का दुरुपयोग हो सकता है तो इस पर रेगुलेशन लाना चाहिए था. क्रिप्टो करेंसी को लेकर नियमावली बनाने की जरूरत है. यह एक डिजिटल करेंसी है जिसे कोई रेगुलेट नहीं करता है. पिछले कुछ सालों से क्रिप्टोकरेंसी मुद्राओं की लोकप्रियता बढ़ी है. इसमें प्रत्येक लेन-देन का डिजिटल सिग्नेचर द्वारा वेरिफिकेशन होता है. क्रिप्टोग्राफी की मदद से इसका रिकॉर्ड रखा जाता है. भारत में यह ना ही पूरी तरह से प्रतिबंधित है और ना ही पूरी तरह से चालू है. क्रिप्टो करेंसी को लेकर भारत सरकार कंफ्यूज है."- विकास विद्यार्थी, अर्थशास्त्री
रक्षा विशेषज्ञ की राय: वहीं रक्षा विशेषज्ञ ललन सिंह का कहना है कि फुलवारी प्रकरण में जिस तरह से जांच का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है और एनआईए और एटीएस की जांच के दौरान पता चला कि ताहिर के पास क्रिप्टो करेंसी की मदद से पैसे पहुंचते थे उससे साफ हो गया है कि उसका संबंध विदेशों से जुड़ा हुआ है. यहीं कारण था कि वह क्रिप्टो करेंसी का इस्तेमाल कर रहा था.
"क्रिप्टो करेंसी पूरी तरह से कंप्यूटराइज्ड है जिसका इस्तेमाल बहुत सारे देशों में हो रहा है. क्रिप्टो करेंसी में जब भी कोई ट्रांजेक्शन होता है तो इसकी जानकारी ब्लॉकचेन में दर्ज की जाती है, यानी उसे एक ब्लॉक में रखा जाता है. अगर ये बात कंफर्म है कि ताहिर के पास क्रिप्टो करेंसी आ रहा था तो ये कोई छोटी बात नहीं है बहुत बड़ा मामला है. हो सकता है कि इसका इस्तेमाल और भी लोग कर रहे हों."- ललन सिंह रक्षा विशेषज्ञ
फुलवारी शरीफ टेरर मॉड्यूल का अबतक का अपडेट: आपको बता दें कि 12 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार विधानसभा के शताब्दी समारोह आगमन से पहले ही 11 जुलाई की शाम 7:30 बजे फुलवारी शरीफ में अतहर परवेज और जलालुद्दीन को पकड़ा गया था. ये लोग दो महीने से पीएम मोदी के आगमन को लेकर किसी बड़ी साजिश का षड्यंत्र रच रहे थे. FIR में दर्ज बयान के आधार पर ये कहा गया है कि बहुत से लोग पीएम के आगमन को लेकर बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए जुटे हैं. पूछताछ के बाद अबतक कुल आठ संदिग्धों को पकड़ा गया है. एक की गिरफ्तारी लखनऊ से की गई थी. सभी से लगातार पूछताछ जारी है. अतरह परवेज, अरमान मलिक, नूरुद्दीन जंगी (लखनऊ से गिरफ्तारी) और शमीम अख्तर से पूछताछ जारी है. वहीं अभी भी कई संदिग्धों की तलाश की जा रही है.
क्या होता है क्रिप्टोकरेंसी?: क्रिप्टोकरेंसी ब्लाकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित क्रिप्टोकरेंसी का आगमन एक वर्चुअल और डिजिटल करेंसी है. इसे डिसेन्ट्रलाइज तरीके से मैनेज किया जाता है. इसके प्रत्येक लेन देने का डिजिटल सिग्नेचर द्वारा वेरिफिकेशन किया जाता है. इसे कॉपी करना लगभग नामुमकिन है. ये Peer to Peer क्रिप्टोकरेंसी का आगमन कैश प्रणाली है जो कंप्यूटर एल्गोरिदम पर आधारित है.
चीन ने फर्जीवाड़ा कर क्रिप्टोकरेंसी से भारत का 7,761 करोड़ लूटा
राजस्थान, दिल्ली, कर्नाटक, प. बंगाल, उत्तर प्रदेश, गुजरात आदि प्रदेशों से अधिक ब्याज वसूलने से जुड़ीं 2,500 से ज्यादा शिकायतें मिली हैं। अमरीका में फेडरल ट्रेड कमीशन (एफटीसी) ने क्रिप्टो करेंसी में निवेश के झांसे में 46 हजार लोगों के साथ 100 करोड़ डॉलर से ज्यादा की धोखाधड़ी का खुलासा किया है। भारतीय रुपए में यह रकम 7761 करोड़ रुपए से ज्यादा है। सरकार की सख्ती और भारतीय रिजर्व बैंक की कार्रवाई के बावजूद फटाफट लोन का फर्जीवाड़ा जारी है।
डिजिटल क्रांति ने नटवरलालों का दायरा तेजी से बढ़ाया है। दुनिया के किसी कोने में बैठकर किसी को भी चूना लगाना आसान हो गया है। डिजिटल तकनीक ने खूब सहूलियतें दी हैं पर साथ में जोखिम भी बढ़ा है। थोड़ी भी असावधानी बड़े नुकसान की वजह बन सकती है। साइबर सेंधमारी, फटाफट लोन ऐप की लूट और आभासी दुनिया की करेंसी निवेशकों को धोखाधड़ी का वास्तविक शिकार बना रही हैं। इंस्टैंट लोन ऐप से भारत में हजारों लोगों से करोड़ों रुपए की वसूली हो चुकी है।
क्रिप्टो करेंसी पर टैक्स से सरकार को होंगे कई फायदे, जानिए CBDT के चेयरमैन ने कही ये बात
क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली कमाई पर 30 फीसदी टैक्स लगाने के बाद साफ हो गया है कि, क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग से जुड़े कानून भी जल्द ही तैयार किए जा सकते है। ऐसे में जिन लोगों के पास बड़ी संख्यार में क्रिप्टोकरेंसी थी उन्हें अब इसके बैन नहीं होने से राहत मिलेगी।
क्रिप्टो करेंसी से होने वाली कमाई पर 30 फीसदी टैक्स देना होगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट में ऐलान कर दिया कि, क्रिप्टो करेंसी से होने वाली कमाई पर 30 फीसदी टैक्स देना होगा। वहीं जानकारों का कहना है कि, देश में अभी तक 2 लाख से ज्यादा लोगों ने क्रिप्टो करेंसी में निवेश किया हुआ है। लेकिन अभी तक इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा मौजूद नहीं है। ऐसे में सरकार के पास क्रिप्टो करेंसी में किए गए कुल निवेश की भी सटीक जानकारी नहीं है। इसीलिए सरकार ने आम बजट में क्रिप्टो करेंसी पर टैक्स लगाने का निर्णय किया है।
क्रिप्टोकरेंसी के बिजनेस में आएगी पारदर्शिता – अभी तक उम्मीद की जा रही थी सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगा सकती है। लेकिन एक बड़े वर्ग को उम्मीद थी कि, सरकार इससे जुड़े नियम और कानून लागू कर सकती है। लेकिन क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली कमाई पर 30 फीसदी टैक्स लगाने के बाद साफ हो गया है कि, क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग से जुड़े कानून भी जल्द ही तैयार किए जा सकते है। ऐसे में जिन लोगों के पास बड़ी संख्यार में क्रिप्टोकरेंसी थी उन्हें अब इसके बैन नहीं होने से राहत मिलेगी।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के चेयरमैन ने कही ये बात – केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) चेयरमैन जे बी महापात्र ने कहा है कि बजट में क्रिप्टो करेंसी या ऑनलाइन डिजिटल संपत्तियों को कर के दायरे में लाने की घोषणा आयकर विभाग के लिये देश में इस मुद्रा के कारोबार की ‘गहराई’ का पता लगाने, निवेशकों तथा उनके निवेश की प्रकृति को जानने में मददगार होगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस कदम का मतलब यह नहीं है कि क्रिप्टो करेंसी में लेनदेन वैध हो जाएगा। महापात्र ने कहा कि कर अधिकारियों के लिये इस क्षेत्र में प्रवेश का यह सही समय है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा कि क्रिप्टो करेंसी को लेकर सरकार विभिन्न पक्षों के साथ विचार-विमर्श कर रही है और उससे निकलने वाले निष्कर्ष के आधार पर राष्ट्रीय नीति और नियमन तैयार किये जाएंगे।
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वित्त मंत्री ने 2022-23 के बजट में क्रिप्टोकरेंसी और अन्य डिजिटल संपत्तियों पर कराधान को स्पष्ट किया। उन्होंने ऐसी संपत्तियों में लेन-देन पर होने वाली आय को लेकर 30 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव किया। साथ ही एक सीमा से अधिक के लेन-देन पर एक प्रतिशत टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) लगाने का भी प्रस्ताव किया। महापात्र ने कहा, ‘‘विभाग किसी भी लेनदेन की वैधता पर निर्णय नहीं लेता है। आयकर विभाग और आयकर अधिनियम केवल यह देखता है कि आपने जो लेन-देन किये हैं, क्या उससे आय सृजित हुई है या नहीं। हम इसके लिये नहीं हैं कि आय वैध है या नहीं, बल्कि हमारा काम आय पर कर लगाने का है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यही कारण है कि मैं कहूंगा कि नये कानून के तहत क्रिप्टोकरेंसी पर कर लगाना कोई इसे वैध नहीं बनाता…।’’ महापात्र ने कहा कि क्रिप्टो करेंसी में कारोबार या डिजिटल संपत्तियों में कारोबार केवल इसलिए वैध नहीं हो जाता कि आपने उस पर कर दिया है।
सीबीडीटी प्रमुख ने कहा, ‘‘क्रिप्टोकरेंसी के लिये राष्ट्रीय स्तर क्रिप्टोकरेंसी का आगमन पर नीति निर्माण का काम जारी है। आयकर विभाग इस क्षेत्र में ऐसे समय प्रवेश कर रहा है जब नीति पर काम जारी है। अत: मैं कहूंगा कि विभाग के लिये इस बाजार में प्रवेश का सही समय है।’’ महापात्र ने कहा कि जब कोई इकाई डिजिटल व्यापार पर किसी लाभ या अधिशेष की घोषणा करती है, तो उन्हें यह भी बताना होता है कि उनके पास निवेश के लिए पैसा कहां से आया है और यदि निवेश उचित और न्यायोचित है, तो अधिशेष पर कर लगाया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘‘कराधान व्यवस्था से हमें यह जानने में भी मदद मिलेगी कि क्या निवेश गलत तरीके से किया गया है या अवैध है। अगर वह बेहिसाब आय डाल रहा है या यह किसी और की ‘बेनामी’ संपत्ति है, तो उसके बाद आगे की कार्रवाई होगी।’’ महापात्र ने कहा कि इसीलिए हम न केवल अधिशेष को देख रहे हैं बल्कि हम संबंधित इकाई द्वारा किये जा रहे निवेश की प्रकृति को भी देख रहे हैं।
ऑनलाइन डिजिटल मुद्रा भुगतान पर देना होगा TDS – बजट में एक साल में 10,000 रुपये से अधिक ऑनलाइन डिजिटल मुद्रा भुगतान पर एक प्रतिशत टीडीएस लगाने का भी प्रस्ताव है। साथ ही इस प्रकार की संपत्ति उपहार देने पर भी काराधान का प्रस्ताव किया गया है। टीडीएस के लिये सीमा निर्धारित व्यक्तियों के लिये 50,000 रुपये सालाना होगी। इसमें व्यक्ति/हिंदू अविभाजित परिवार शामिल हैं। उन्हें आयकर कानून के तहत अपने खातों का ऑडिट कराने की जरूरत होगी। साथ ही इसमें किसी प्रकार के व्यय या भत्ते को लेकर कटौती का कोई प्रावधान नहीं है। देश में क्रिप्टो अर्थव्यवस्था के मौजूदा अनुमान के बारे में पूछे जाने पर सीबीडीटी प्रमुख ने कहा कि वह सही आंकड़ों के अभाव में कोई अनुमान देने की स्थिति में नहीं हैं।
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